क्या कहा उच्च न्यायालय ने बिजली कम्पनी के निजीकरण पर

क्या कहा उच्च न्यायालय ने बिजली कम्पनी के निजीकरण पर

उ प्र सरकार हाईकोर्ट में रखा पक्ष , नहीं होगा बिजली कम्पनी का निजीकरण
इन्नोवेस्ट न्यूज़  / 26 nov

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उ प्र पावर कार्पोरेशन द्वारा निजीकरण का प्रस्ताव पूरी तरह निरस्त कर दिया गया है साथ ही घाटे के सम्बंध में याची द्वारा याचिका में घाटे की समीक्षा के सम्बंध में कहा कि घाटे के लिये उ प्र पावर कार्पोरेशन ने कमेटी बना कर 95000 करोड के घाटे का ऑडिट कराने का काम शुरू कर दिया है।
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उत्तर प्रदेश के कर्मचारियो के लिए खुशखबरी है कि निजीकरण की लटकती तलवार से सबको मिली मुक्ति  मिल गयी है। ऐसा  उ प्र सरकार ने हाईकोर्ट में रखा पक्ष रखते हुए विधुत विभाग का निजीकरण नहीं किया जायेगा।    पूर्वांचल विधुत वितरण निगम को निजीकरण करने के उ प्र पावर कार्पोरेशन के प्रस्ताव के विरुद्ध उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति के अध्यक्ष चन्द्रशेखर सिंह, उपाध्यक्ष अविजित आनन्द व सचिव मो मोनिस के  द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और निजीकरण की प्रक्रिया को जन विरोधी बताते हुए एक जनहित याचिका नम्बर 1218/2020 दायर की थी। जिस पर 24 नवम्बर को  इलाहाबाद हाईकोर्ट के माननीय मुख्य न्यायधीश गोविंद माथुर और विद्वान न्यायाधीश सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति का पक्षकार अधिवक्ता सुधाकर पांडे का पक्ष सुनते हुए एवं उ प्र पावर कार्पोरेशन से पक्ष जाना जिसपर उ प्र पावर कार्पोरेशन का पक्ष रखते हुए उनके अधिवक्ता ने न्यायपालिका के समक्ष स्पष्ट तौर पर कहा कि उ प्र पावर कार्पोरेशन द्वारा निजीकरण का प्रस्ताव पूरी तरह निरस्त कर दिया गया है साथ ही घाटे के सम्बंध में याची द्वारा याचिका में घाटे की समीक्षा के सम्बंध में कहा कि घाटे के लिये उ प्र पावर कार्पोरेशन ने कमेटी बना कर 95000 करोड के घाटे का ऑडिट कराने का काम शुरू कर दिया है।

 

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