काशी के गंगा की लहरों में अब इकोफ्रेंडली सीएनजी नाव चलाने की तैयारी

काशी के गंगा की लहरों में अब इकोफ्रेंडली सीएनजी नाव चलाने की तैयारी

 

काशी के गंगा की लहरों में अब इकोफ्रेंडली सीएनजी नाव चलाने की तैयारी 
इन्नोवेस्ट न्यूज़  / 18 dec

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– प्रदूषण से बचने संग सुंदरता बढ़ाने की एक और कदम
– कम खर्चे में ज्‍यादा दूरी नापेंगे नाविक, 40 से 50 प्रतिशत की होगी बचत
– अगली देव दीपावली पर शत प्रतिशत सीएनजी नौकाओं को चलाने का है लक्ष्‍य

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गंगा के लहरों में अब सीएनजी की नावें चलेगी जिसकी ट्रायल शुरुआत शीघ्र की जानी है। मां गंगा की अविरल धारा को पावन बनाने के उद्देश्‍य से पायलट प्रोजेक्‍ट के तहत खिड़किया घाट पर सीएनजी स्‍टेशन को तैयार किया जा रहा है। ताकि गंगा की लहरों में चलने वाली वोट को ईंधन की परेशानी से दो चार नहीं होना पड़े। एक अनुमान के अनुसार जनवरी में 51 नावों को एक साथ लहरों में उतारने की तैयारी है। साफ़ है कि इन नावों से  घाट के इलाके में न तो जहरीला धुंआ होंगी न ही शोर । प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र दुनिया का पहला ऐसा शहर होगा जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी नौकाओं का संचालन होगा।

प्रदेश और केंद्र सरकार के आशा के अनुरूप गंगा को हर तरह से प्रदूषण मुक्त करने का प्रयास है। गेल इंडिया ने कार्पोरेट सोशल रेस्‍पोंसिबिल्‍टी’ प्रोजेक्ट के तहत इस काम का जिम्मा लिया है। लगभग 34 करोड़ के बजट से 1,700 छोटी और बड़ी नाव में सीएनजी इंजन लगाया जाएगा। छोटी नाव पर करीब 60 से 70 हज़ार का खर्च आएगा वहीं  बड़ी नाव और बजरा पर लगभग दो लाख या उससे अधिक की लागत लगेगी। इस लागत का कुछ प्रतिशत नाविकों से भी लिया जाना है । शर्त यह भी है कि सीएनजी आधारित इंजन लगने के बाद नाविक से डीजल इंजन वापस  देना होगा।

लागत एक करोड़ नाव की संख्या 51 नावों की
cng लगाने के पहले चरण में करीब एक करोड़ की लागत से 51 नौकाओं का सीएनजीकरण किया जाएगा ।गैस रिफिलिंग के लिए घाट पर डाटर स्टेशन की तैयारी के तहत जेटी पर डिस्पेन्सर लगाया जा रहा है। सुरक्षा के नजर नाव पर रेडियम स्टिकर ,सवारी के लिए लाइफ जैकेट और नाविक अपने आई कार्ड के साथ होगा।

ये होंगे फायदे 
डीजल इंजन के नाव से जहरीले धुंए में होने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड , सल्फर, पार्टिकुलेट मैटर, हैवी मेटल जैसी गैस पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाती हैं। जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं होता । डीजल इंजन के तेज आवाज़ से जो कंपन होता है इससे इंसान के साथ ही जलीय जीव जन्तुओं पर भी बुरा असर पड़ता है और इको सिस्टम भी खराब होता है।

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