
” रेत पर आकृति की खोज ” गंगा की गोद में कलाकारों ने गढ़ा भावनाओं की छटा
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 19 jan
कला अपने आप में बहुत कुछ कह जाती है ऐसा ही कुछ दिखा आज शिव की नगरी काशी में बहने वाली माँ गंगा के पवित्र धार के बगल की रेत पर ….गंगा की इस आँचल में बालू के रेत पर जुटे कलाकारों ने अपने भावनाओ के माध्यम से समाज के उन खामियों पर रौशनी डाला जो समाज में नासूर बनते जा रहे है ,दरअसल यह आयोजन शिल्प के गुरु कहे जाने वाले रामदास छाटपार के याद में हर वर्ष आज के ही दिन मदनलाल की संस्था रामदास छाटपार शिल्प न्यास द्वारा कराया जाता है। समाज को आइना दिखाने का काम पहले से की कलाकार करते आ रहे है हाँ यह अलग बात है की इनके माध्यम अलग अलग जरुर होते है ऐसा ही माध्यम को एक बार फिर घाट किनारे युवाओं ने अपने भावनाओ के बारीकी से रेत पर उरेका …..देशप्रेम राममंदिर चुनाव महगाई संग भष्टाचार के दंश को भी कलाकार किस तरह देखता है इसका एक उदाहरण रेत पर देखने को मिला। गंगा में लहरों की यह अठखेलियां भले ही आप से कुछ कहे या न कहे लेकिन रेत पर बनायीं ये आकृतियां समाज को उन स्थितिओ से कुछ यूँ रूबरू करा गयी जो आज समाज में मुहं बाये खड़ी है और जिसका समाधान सब जानते तो है लेकिन आगे आने से बचते है।
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