शिव शक्ति आराधना से दूर होगा कोरोना
-पं0 चक्रपाणि भट्ट
इस वर्ष श्रावण माह का शुभ आगमन उत्तराषाढ नक्षत्र, सोमवार तथा वैधृति योग में दिनांक- 6 जुलाई से हो रहा है। इस श्रावण का विशेष महत्व इसलिए भी है कि श्रावण के प्रथम दिन भी सोमवार है और अन्तिम दिन रक्षा-बन्धन वाले दिन भी सोमवार है। इस प्रकार इस वर्ष सावन में पाँच सोमवार का अति शुभ योग है।सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है। अतः सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शिव-शाक्त में शिव के साथ शक्ति की पूजा करने से प्राप्त फल के विषय में इस प्रकार उल्लिखित है- “शिवेन सह पूजयते शक्ति:सर्व काम फलप्रदा।।” साथ ही सावन में शिव-शक्ति पूजा की फलश्रुति में स्पष्ट उल्लिखित है- “यम यम चिन्तयते कामम तम तम प्रापनोति निश्चितम।। परम ऐश्वर्यम अतुलम प्राप्यससे भूतले पुमान।।” अर्थात् इस भूतल पर समस्त प्रकार के रोग व्याधि, पीड़ा एवं अभावों से मुक्ति दिलाने के लिए ही श्रावण माह में भगवान शिव अपने कल्याणकारी रूप में धरती पर अवतरित होते हैं। अतः विधि-विधान के साथ भगवान शिव का पंचोपचार पूजन करना अति फलदायक होगा।
इस क्रम में सर्व प्रथम शिव जी को पंचामृत स्नान कराकर गंगा-जल अथवा शुद्ध कूप (पाताल) जल में कुश, दूध, हल्दी एवं अदरक का रस मिलाकर रूद्राभिषेक करने से वर्तमान में व्याप्त वैश्विक महामारी ‘ कोरोना’ का अन्त सम्भव है।साथ ही व्यक्ति वर्षपर्यंत धन-धान्य से पूर्ण रहते हुए निरोग रहेगा।अभिषेक के बाद अथवा नित्य शिव जी को कम से कम बारह बेलपत्र चढ़ावे सभी बेलपत्र पर देशी घी से “राम-राम” लिख कर” ॐ नम: शिवाय शिवाय नम:”। इस मन्त्र से एक-एक कर शिव जी को अर्पित करे। बेलपत्र बारह ही नहीं अपितु यथा शक्ति एक सौ आठ, ग्यारह सौ भी चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र अर्पित करने के बाद “ॐ हौम ॐ जूँ स:” इस मन्त्र का जाप करने से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
शिव-पुराण के अनुसार श्रावण मास में शिव शक्ति अर्थात् देवी के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। अतः शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता है। शिवजी को भस्म अवश्य लगाना चाहिए। ”भस्म” मौलिक-तत्व का प्रतीक है और वृषभ (बैल) जगत धर्म-प्रतीक शक्ति का प्रतिनिधि है। अपने समस्त कार्य-सिद्ध हेतु शिव के उन सिद्ध मन्त्रों का पाठ करना चाहिए, जिनसे शक्ति दुर्गा की भी स्तुति हो।
शिव-शक्ति मन्त्र- “ॐ उत्तप्तहेमरूचिराम रविचन्द्र वह्निम, नेत्राम धनुश्श्रयतंकुश पाशशूलम। रम्यैर्भुजै:च दधतीम शिवशक्तिरूपम।कामेश्वरीम ह्रिदि भजामि धृतेंदुलेखाम।।अथवा रुद्रो नर उमा नारी रुद्रो ब्रह्मा उमा वाणी। शिवकाली काल रूपा तस्मै तस्यायै नमो नम:।।
एक मन्त्र और- “ पापोहं पाप कर्माहं पापात्मा पाप सम्भव। त्राहिमाम पार्वतीनाथ सर्व रोग हरो भव।।” इन मन्त्रों से स्तुति करने से शिव शक्ति निरन्तर कल्याण करते रहते हैं। विशेष रूप से “कोरोना” महामारी पर विजय प्राप्त करने के लिए शिवजी के साथ महादुर्गा (शक्ति) की भी स्तुति करने से पूजा से प्राप्त होने वाले दुगुने फल की प्राप्ति होती है। महामारी के साथ-साथ समस्त कष्टों से मुक्ति का मार्ग प्राप्त हो जाता है,मन्त्र इस प्रकार है —
“महाकाल्या महाकाले महामारी स्वरुपया। सैवकाले महामारी सैवसृष्टि भवत्यजा।।” श्री भगवते साम्ब सदा शिवाय नम: ।।