
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंथ न्याय के लिए 26 जनवरी से अनशन पर
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 24 jan
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंथ मंगलवार से धरना शुरू करने जा रहे है और इनके धरने की वजह मंदिर प्रबंधन द्वारा किया जा रहा दोहरापन बताया गया है। पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने अपने सार्वजानिक पत्र में अपनी वेबसी और उन पर हुए अन्याय का भी जिक्र किया है। अपने इस व्यथा की पूरी बात प्रधानमंत्री प्रदेश मुख्य मंत्री को तीन बार पत्र के माध्यम से अवगत करा चुके है । यही नहीं राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा लेकिन बात नहीं बन सकी।
पत्र कुछ लिखा है …..
न्याय के लिए 26 जनवरी से अनशन पर बैठूंगा : महंत डा. कुलपति तिवारी स्मिता दुबे
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं के निर्वाह के लिए महंत परिवार विगत साढ़े तीन सौ वर्षों से भी अधिक समय से कृत संकल्प है। मंदिर की व्यवस्थाओं के अधिग्रहण की न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था की आड़ में मंदिर का ही अधिग्रहण करने के बाद भी महंत परिवार लोक परंपराओं के पालन के लिए पूर्ण रूप से समर्पित रहा है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच के अनुरूप काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए महंत परिवार ने अपने पैतृक आवास और मंदिरों को भी सहर्ष कॉरिडोर के लिए छोड़ दिया। गत वर्ष 22 जनवरी को मेरे पैतृक आवास का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से बहुत सारा सामान मलबे में दब गया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की लोक परंपराओं के निर्वाह में भिन्न-भिन्न धार्मिक अवसरों पर पूजी जाने वाली बाबा विश्वनाथ की कई रजत मूर्तियों के साथ प्रयुक्त होने वाला चांदी का सिंहासन और चांदी का तामझाम भी उसी मलबे में दब गया। बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती सहित कई प्राचीन रजत मूर्तियां बाल-बाल बच गई थीं। उनके महत्व और सुरक्षा की दृष्टि से विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन ने उन मूर्तियों को मंदिर के एक कक्ष में रखवाया। ताला लगा कर तीन चाबियां तीन पक्ष के पास थीं। एक चाबी मेरे पास, दूसरी प्रबंधन के पास और तीसरी चाबी मेरे चचेरे भाई के पास। टेढ़ीनीम स्थित नए भवन में परिवार के साथ व्यवस्थित होने के बाद जब मैंने रजत मूर्तियों की मांग की तो पता चला उनमें से कई प्रतिमाएं बिना मेरी जानकारी के मंदिर प्रबंधन ने मेरे छोटे भाई को सौंप दी। यही नहीं दीपावली के उपरांत अन्नकूट के पर्व पर बाबा की खंडित रजत प्रतिमा को पूजने के लिए मुझपर दबाव बनाया गया। यही नहीं पैतृक आवास के आधे-आधे का हिस्सेदार होने के बावजूद प्रशासन ने भवन के एवज में मेरे चचेरे भाई को एक करोड़ 80 लाख रुपए अधिक दे दिए। ऐसा किस आधार पर हुआ मैं अब तक नहीं समझ पाया हूं। उपरोक्त सारे प्रकरण की जानकारी मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, माननीय मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ को तीन-तीन बार पत्र के माध्यम से प्रेषित की है। मैंने राष्ट्रपति को भी इस संबंध में अनुरोध पत्र प्रेषित किया था। राष्ट्रपति सचिवालय से मुख्यमंत्री कार्यालय को जून 2020 में ही पत्र लिख कर मामले के न्यायोचित निपटारा कराने और कार्यवाही से अवगत कराने के लिए पत्र भेजा गया। बावजूद इसके अब तक इस प्रकरण में मेरे साथ न्याय नहीं हो सका है। इस विकट परिस्थिति में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी लोक परंपराओं के निर्वाह को यथावत जारी रखना मेरे लिए अत्यंत दुष्कर है। इसलिए न्याय की आस में मैंने गांधीवादी तरीके से विरोध दर्ज कराने का निर्णय किया है। मैंने तय किया है कि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2021 से मैं अपने आवास में ही अपनी नेत्रहीन धर्मपत्नी के साथ अनशन पर बैठूंगा। जब तक इस संबंध में मुझे न्याय नहीं मिल जाता मेरा अनशन जारी रहेगा।
डा. कुलपति तिवारी महंत, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर स्मिता दुबे
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