
जानिये ,क्या होता है गुप्त सारस्वत या माघी नवरात्र
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 9 feb
हिन्दू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। पूरे साल में चार नवरात्र मनाए जाते हैं। अधिकांश लोग साल के दो नवरात्रियों के बारे में ही जानते हैं। ये चैत्र और शारदीय नवरात्र कहलाते हैं। लेकिन इन दो नवरात्रों के अलावा भी दो नवरात्र और होते हैं। जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। यह गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ मास में आते हैं। माघ महीने यानि जनवरी-फरवरी में पड़ने के कारण इन नवरात्र को माघी नवरात्र भी कहा जाता है। हिन्दू कलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक माघ गुप्त नवरात्र मनाए जाते हैं।
इन देवियों की होती है उपासना माघ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। 12 फरवरी शुक्रवार से गुप्त नवरात्रि का शुरू हो रहा है। इस नवरात्रि में मां आदिशक्ति की दस महाविद्याओं की पूजा का परम्परा है। गुप्त नवरात्रि खासतौर पर तंत्र साधना करने वालों के लिए विशेष महत्व वाला माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में मां की दस महाविद्याओं का पूजन और मंत्र जाप उनकी कृपा प्राप्त करने का साधन हैं। जिन दस महाविद्याएं में काली, तारा, षोडशी, त्रिपुरसुन्दरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगला, मातंगी, कमला है। मां दुर्गा की ये दस महाविद्याएं साधक को कार्य सिद्धि प्रदान करती हैं।
गुप्त सिद्धियों के लिए जाना जाता है स्नान, ध्यान, पूजा, दान के साथ ही दैवीय शक्तियों की कृपा प्राप्ति के लिए माघ मास को विशेष फलदायी माना गया है। इस महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक की तिथि ( 12 फरवरी से 20 फरवरी तक ) गुप्त नवरात्र नवरात्र के रूप में जानी जाती है। उपासक इन तिथियों में गुप्त रूप से अनुष्ठान, पूजन कर मां की कृपा प्राप्त करते हैं, इसीलिए इसे गुप्त नवरात्र कहते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इन दिनों की गई मां की गुप्त उपासना से सिद्धि की प्राप्ति होती है। मां की कृपा प्राप्ति का यह महापर्व है।
ये है पूजन विधान इस वर्ष ये पर्व की प्रतिपदा तिथि का सुखद संयोग 12 फरवरी शुक्रवार से शुरू होगा। ये दिन देवी आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन आदि शक्ति जगदंबा विष्णुप्रिया लक्ष्मी रूप में पूजित होने पर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। गुप्त नवरात्र की पंचमी तिथि बसंत पंचमी के रूप में जानी जाती है। इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती के पूजन का सौभाग्य प्राप्त होता है। इसी तरह माघ शुक्ल की नवमी महानंदा नवमी के नाम से जानी जाती है। मां की उपासना में लाल पुष्प, दौना, बिल्वपत्र, इत्र, कुमकुम, लाल चुनरी, गुग्गुल का धूप और नारियल चढ़ाया जाता है। शास्त्रों की मान्यता है कि कलयुग में चंडी की उपासना विशेष फलीभूत होती है।
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