
तिथि विशेष – मौनी अमावस्या, सुख-समृद्धि, खुशहाली के लिए करे ये प्रयास
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 10 feb
– विमल जैन
– मौनी अमावस्या 11 फरवरी, गुरुवार को
– मकर राशि में बनेगा षड्ग्रही योग होगी मौनी अमावस्या
– स्नान-दान व श्राद्धकृत्य से होगी मनोकामना पूरी
– तिल दान से होंगे कष्ट दूर, पितृदोष से भी मिलेगी मुक्ति
भारतीय संस्कृति के अनुसार द्वादश माह के प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसमें शनैश्चरी अमावस्या, कुशोत्पाटनी अमावस्या, हरियाली अमावस्या, सोमवती अमावस्या तथा कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या (दीपावली) तिथि खास है। अमावस्या तिथि के दिन गंगा स्नान, दान एवं श्राद्ध तथा पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। माघमास की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या के नाम से जानी जाती है। चन्द्रमा व सूर्यग्रह के मकर राशि में एक साथ होने पर मौनी अमावस्या का संयोग बनता है।
ये है पंचांग
इस बार मौनी अमावस्या पर मकर राशि में चन्द्रमा, सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनिग्रह विराजमान रहेंगे। अमावस्या तिथि बुधवार, 10 फरवरी को अद्र्धरात्रि के पश्चात 1 बजकर 09 मिनट पर लगेगी जो कि गुरुवार, 11 फरवरी को अद्र्धरात्रि के पश्चात 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। गुरुवार, 11 फरवरी को सम्पूर्ण दिन अमावस्या तिथि का मान होने से मौनी अमावस्या का महापर्व आज ही मनाया जायेगा। पितृशान्ति के लिए श्राद्ध कृत्य आज ही किये जाएंगे।
पूजा का विधान
इस दिन शुभ संयोग में गंगा-स्नान करके दान पुण्य करने का विशेष फल मिलता है। इस पर्व पर मौन रहकर स्नान करने की धार्मिक मान्यता है। मौन रहते हुए ही देव-दर्शन व दान-पुण्य करना शुभ फलदायी माना गया है। मौनी अमावस्या के दिन ब्राह्मण को घर पर आमन्त्रित करके उनको सात्विक भोजन कराना चाहिए। यथासामर्थ दान-दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। ब्राह्मण को नवीन वस्त्र, आंवला, तिल व तिल का तेल तथा काले तिल व गुड़ से निॢमत लड्डू को नये लाल वस्त्र में बाँधकर देने का विधान है।
दान का महत्त्व
मौनी अमावस्या पर दिया गया दान मेरु समान फल देनेवाला माना गया है। आज के दिन जरूरतमंद असहाय लोगों को ऊनी वस्त्र, कम्बल, स्वेटर एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए। सूर्य, मंगल व गुरु ग्रह की कृपाप्राप्ति के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलवाकर लोगों को ठंड से राहत पहुँचाना चाहिए। जिनकी जन्मकुण्डली में पितृदोष हो, उन्हें विधि-विधानपूर्वक पितृदोष की शान्ति करवानी चाहिए।
पीपल पूजा सुख-समृद्धि का बनता है योग
विमल जैन के अनुसार इस दिन भगवान् श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात् 108 बार परिक्रमा की जाती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट-देवी देवता एवं आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना से सुख-समृद्धि का योग बनता है।
पीपल वृक्ष पूजा के मन्त्र मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नम:।
बिगड़े काम को बनाना हो तो करें ये उपाय
अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा-अर्चना करने से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। पितरों के निमित्त कांसे के खाली पात्र के साथ ताम्रपात्र में दूध, जल, काले तिल, काले वस्त्र, स्वर्ण एवं गेहूँ का दान करना लाभकारी रहता है। आज के दिन सफेद तिल भगवान विष्णु जी को समर्पित किया जाता है। काला तिल पितरों के तर्पण में प्रयोग होता है। शनि, राहु एवं केतु ग्रह की शान्ति के लिए काले तिल, तिल का तेल, सरसों का तेल एवं अन्य काले रंग की वस्तुओं का दान करना विशेष लाभकारी माना गया है।
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