
कहानी मुंबई शहर की , दहेज में किसने किसको दिया था …
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 25 feb
मुंबई देश का वो फाइनेंशियल कैपिटल जिसे मायानगरी कहा जाता है। जहां नौकरी पाने के लिए लोग लाखों की तादात में पलायन करते हैं, जिसे देश का एक ऐसा शहर कहा जाता है जहां सबके सपने सच होते हैं। द्वीपों की शक्ल में बना ये शहर असल में नया नहीं है। इसकी सभ्यता इतनी पुरानी है कि आप सोच भी नहीं सकते। दूसरी सदी में भी इसके होने का प्रमाण मिलता है जब मौर्य साम्राज्य में इस द्वीपों के समूह में हिंदुओं और बौद्ध मान्यताओं के लोगों को बसाया गया था।मुंबई की कहानी बहुत रोचक है क्योंकि सदी दर सदी इसमें बदलाव होते गए और ये शहर भारत के लिए हर सदी में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता चला गया। पर सबसे बड़ा बदलाव आया था पुर्तगालों के आने के बाद। 1534 तक मुगलों की कब्जा पूरे भारत में था और हुमायूं के बढ़ते कद के कारण गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह को डर लगा और वो उपाय खोजने लगे ताकि किसी तरह से मुगलों को दूर रखा जाए। 9वीं सदी से ही मुंबई के द्वीप गुजराती परिवार के पास थे, उसी डर के कारण बहादुर शाह ने पुर्तगालियों के साथ एक संधी की। वो संधी थी बेसिन की संधि (Treaty of Bassein) जो दिसंबर 1534 में हुई थी। और इसका मतलब था कि बॉम्बे के 7 द्वीप जो वसईशहर के करीब थे। वो पुर्तगालियों के अंतरगत आ जाएंगे। यही थी मुंबई के बनने की शुरुआत।
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बॉम्बे का नामकरण …
मुंबई द्वीपों को 1534 में पुर्तगालों ने कब्जे में लिया। तब ये एक शहर नहीं बल्कि कई द्वीपों का समूह था। जिसे पर पुर्तगाली एक ट्रेडिंग सेंटर या फैक्ट्री बनाना चाहते थे। पुर्तगाली इस शहर को बॉम बाहिया ( Bom bahia) कहते थे जिसका मतलब था एक अच्छी खाड़ी। यही आगे अपभ्रंश होकर अंग्रेजों द्वारा बॉम्बे का नाम मिला। 1626 आते आते ये द्वीपों का समूह एक बड़ा शहर बन चुका था,अब यहां से कई चीजों का आयात निर्यात किया जाता था और ये एक ऐसा शहर बन गया था जहां बड़े महलों से लेकर कच्चे घरों तक सब कुछ था ,यही नहीं यहाँ जहाज बनाने का यार्ड के साथ किला, मठ भी था।
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दहेज में बॉम्बे..
बॉम्बे पर अंग्रेजों की नजरें बहुत पहले से थीं, लेकिन वो किसी भी हाल में उसे अपने कब्जे में नहीं कर पाए थे। 1652 में सूरत काउंसिल ऑफ ब्रिटिश अम्पायर ने अंग्रेजों को बॉम्बे को पुर्तगाल से खरीद लेकिन ऐसा नहीं हो सका था। लगभग 9 सालों में ही ब्रिटेन के चार्ल्स सेकेण्ड की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी कैथरीन से हुआ और 11 मई 1661 को बॉम्बे के 7 द्वीप ब्रिटेन को दहेज में मिल गए थे।
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कठिन दौर …
समय बीता , अब ईस्ट इंडिया कंपनी का बॉम्बे के 7 द्वीप था लेकिन ये इनके लिए अनुकूल नहीं था। यूरोपियन मानते थे कि यहाँ का दो मॉनसून देखने के बाद लोग तीसरा नहीं देख पाते है।बच्चे जन्म के बाद 20 में से 1 ही बचते थे। पुरुष को लोकल महिलाओं के साथ शादी करने करने की सलाह दी गयी लेकिन धीरे-धीरे वो लोग बॉम्बे के हो गए।
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