दुनिया का इकलौता विश्वनाथ मंदिर जहां शक्ति के साथ विराजमान हैं शिव….
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 9 मार्च
शिव सत्य है, शिव अनंत है,शिव अनादि है, शिव भगवंत है,शिव ओंकार है, शिव ब्रह्म है,शिव शक्ति है, शिव भक्ति है,आओ भगवान शिव का नमन करें,उनका आशीर्वाद हम सब पर बना रहे। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ के दरबार में आस्था का जन सैलाब उमड़ता है। यहां वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजते हैं। यह अद्भुत है।
काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11 सत्य
1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं। दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) रूप में विराजमान हैं। इसीलिए काशी को अवि मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है।
2. देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग केवल काशी में ही खुलता है। यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है और दोबारा गर्भधारण नहीं करना होता है। भगवान शिव खुद यहां तारक मंत्र देकर लोगों को तारते हैं। अकाल मृत्यु से मरा मनुष्य बिना शिव अराधना के मुक्ति नहीं पा सकता।
3. श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं, जो अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।
4. विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है। इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है। तांत्रिक सिद्धि के लिए ये उपयुक्त स्थान है। इसे श्री यंत्र-तंत्र साधना के लिए प्रमुख माना जाता है।
5. बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार इस प्रकार हैं
1. शांति द्वार। 2. कला द्वार। 3. प्रतिष्ठा द्वार। 4. निवृत्ति द्वार। इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है। पूरी दुनिया में ऐसा कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और तंत्र द्वार भी हो।
6. बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है। इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार। तंत्र की 10 महा विद्याओं का अद्भुत दरबार, जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है।
7. मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है। इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है। इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है। यहां से प्रवेश करते ही पूर्व कृत पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।
8. भौगोलिक दृष्टि से बाबा को त्रिकंटक विराजते यानि त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है। मैदागिन क्षेत्र जहां कभी मंदाकिनी नदी और गौदोलिया क्षेत्र जहां गोदावरी नदी बहती थी। इन दोनों के बीच में ज्ञानवापी में बाबा स्वयं विराजते हैं। मैदागिन-गौदौलिया के बीच में ज्ञानवापी से नीचे है, जो त्रिशूल की तरह ग्राफ पर बनता है। इसीलिए कहा जाता है कि काशी में कभी प्रलय नहींआ सकता।
9. बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान है। वह दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं। रात्रि नौ बजे जब बाबा का श्रृंगार आरती किया जाता है तो वह राज वेश में होते हैं। इसीलिए शिव को राजराजेश्वर भी कहते हैं।
10. बाबा विश्वनाथ और मां भगवती काशी में प्रतिज्ञाबद्ध हैं। मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं। वहीं, बाबा मृत्यु के पश्चात तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं। बाबा को इसीलिए ताड़केश्वर भी कहते हैं।
11. बाबा विश्वनाथ के अघोर दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथ औघड़ रूप में भी विचरण करते हैं। उनके बारात में भूत, प्रेत, जानवर, देवता, पशु और पक्षी सभी शामिल होते हैं।
काशी के प्रसिद्ध शिव लिंग
शास्त्रों की बात करे तो काशी के कण -कण में शंकर होने की बात कही गयी है , इतर इसके स्कंद पुराण के काशी खंड में काशी में 511 शिवालयो का वर्णन मिलता है जिसमे 11 स्वंभू ,46 बिभिन्न देवताओ द्वारा स्थापित , 47 ऋषियों द्वारा , 7 ग्रहों द्वारा , 40 गणों द्वारा अर्चित , तथा 295 लिंग और भी है | सावन शिव को अति प्रिय है इसके दो कारण है पहला यह की समुन्द्र मंथन के बाद लिकले विष पान के कारण भगवान शिव के शरीर में जलन होने की वजह से देवताओ ने एसे शांत करने के लिए जल अर्पित किया था और ये संवं का महीना था , दूसरा मां पार्वती ने इसी महीने में शिव के प्राप्ति के लिए कठोर व्रत की थी।
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काशी के सभी शिव लिंग अति फलदायी है लेकिन इन शिवालयो में से कुछ चमत्कारी है …..
# काशी विश्वनाथ मंदिर –
बारह ज्योतिलिंगो में से एक इस मंदिर को अहिल्याबाई ने पुनः निर्माण कराया था इसके पूर्व मुग़ल शासक औरंग्जेब ने मूल मंदिर को तोड़ वही मस्जिद का निर्माण कराया जो आज भी है | मंदिर गंगा नदी के किनारे गोदौलिया नामक स्थान पर है
# तिलभाण्डेश्वर महादेव –
भेलूपुर के तिलभाण्डेश्वर मोहल्ले में स्थित इस मंदिर में विशाल शिवलिंग है मकर संक्रांति के दिन प्रति वर्ष तिल के बराबर बड़ा होता है इसका आकार इसका प्रमाण है
# सारंग नाथ महादेव –
सारनाथ क्षेत्र में स्थित यह मंदिर मां पार्वती के भाई का है विवाह के बाद उनके पिता को अपने दामाद के बदहाली और पार्वती के कस्ट की चिंता लगी रहती थी बेटी के हाल को जानने के लिए अपने पुत्र को तमाम धन संपदा के साथ काशी भेजा लेकिन कुछ दूर से जब वो शिव की नगरी देखा तो आश्चर्य चकित राह गया क्योकि काशी तमाम रत्नों और सांप्रदा के कारण रात्रि में अदितीय प्रकाश विखेर रहा था।
# गौरी केदारेश्वर महादेव –
केदार घाट के ऊपर स्थित यह मंदिर केदार खंड में है , मान्यताओ के अनुसार इस शिव लिंग में मां अन्नपूर्णा के साथ पार्वती और शिव virajte है।
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