
महाशिवरात्रि विशेष
महाशिवरात्रि व्रत के 3 अंग ,उपवास, पूजा और जागरण
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 10 मार्च
‘संपूर्ण देश में महाशिवरात्रि बडे उत्साह से मनाई जाती है । फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवजी का व्रत महाशिवरात्रि करते हैं । (इस वर्ष ११ मार्च २०२१ को महाशिवरात्रि है ।) उपवास, पूजा और जागरण महाशिवरात्रि व्रत के ३ अंग हैं । ‘फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को एक समय उपवास करें । चतुर्दशी को सवेरे महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करें । सायंकाल नदी अथवा तालाब के किनारे जाकर शास्त्रोक्त स्नान करें । भस्म और रुद्राक्ष धारण करें । प्रदोषकाल पर शिवजी के देवालय में जाकर शिवजी का ध्यान करें । तत्पश्चात षोडशोपचार पूजन करें । भवभवानीप्रित्यर्थ तर्पण करें । शिवजी को एक सौ आठ कमल अथवा बिल्वपत्र नाममंत्र सहित चढाएं । तत्पश्चात पुष्पांजली अर्पण कर अर्घ्य दें । पूजासमर्पण, स्तोत्रपाठ और मूलमंत्र का जप होने के उपरांत शिवजी के मस्तक पर चढाया हुआ एक फूल उठाकर स्वयं के मस्तक पर रखें और क्षमायाचना करें’, ऐसा महाशिवरात्रि का व्रत है ।
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शिव पूजन के विकल्प
अ. कोरोना की पृष्ठभूमि पर लागू किए गए प्रतिबंधो के कारण जिनके लिए महाशिवरात्रि पर शिवमंदिर में जाना संभव नहीं है, वे अपने घर के शिवलिंग की पूजा करें ।
आ. यदि शिवलिंग उपलब्ध न हो, तो शिवजी के चित्र की पूजा करें ।
इ. शिवजी का चित्र भी उपलब्ध न हो, तो पीढे पर शिवलिंग अथवा शिवजी का चित्र बनाकर उसकी पूजा करें ।
ई. इनमें से कुछ भी संभव न हो, तो शिवजी का ‘ॐ नमः शिवाय ।’ यह नाममंत्र लिखकर उसकी भी पूजा कर सकते हैं ।’
उ. मानसपूजा : ‘स्थूल से सूक्ष्म श्रेष्ठ’, यह अध्यात्म का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है । जिस प्रकार साधारण बम की अपेक्षा अणुबम अथवा उससे भी अधिक परमाणुबम शक्तिशाली होता है, उसी प्रकार स्थूल की अपेक्षा सूक्ष्म में अधिक सामर्थ्य होता है । इस तत्त्व के अनुसार प्रत्यक्ष शिवपूजा करना संभव न हो, तो मानसपूजा भी कर सकते हैं ।
‘ॐ नम: शिवाय ’ का नामजप
कलियुग में नामस्मरण साधना बताई गई है । महाशिवरात्रि को शिवजी का तत्त्व १ सहस्र गुना अधिक कार्यरत होता है, उसका आध्यात्मिक स्तर पर लाभ उठाने के लिए ‘ॐ नम: शिवाय ।’ यह नामजप अधिकाधिक करें । इस समय भाव रखें कि शिवजी को साष्टांग नमस्कार कर रहे हैं ।
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