बाबा सर मेवे का सेहरा तो गौरा धारण करेगी गुजराती लहंगा

बाबा सर मेवे का सेहरा तो गौरा धारण करेगी गुजराती लहंगा

बाबा सर मेवे का सेहरा तो गौरा धारण करेगी गुजराती लहंगा
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 10 मार्च

– माता पार्वती पर शोभेगी गुजराती लहंगा
– लहंगे के बार्डर पर नगदार गोटे भी
– भगवान शिव के सिर पर मेवे का सेहरा
– बाघंबरी में लकदक दिखेंगे दूल्हा राजा

काशी नगरी के राजा जो विश्व के भी नाथ है वही विश्वनाथ माता गौरा से कल यानि शिवरात्रि को शादी करने का लोकाचार करते नजर आएंगे । संघारक शिव को उनके भक्त इन दिनों बड़े मनोयोग से रच रच कर शादी से जुड़ी रस्मों को निभा रहे है। ईश्वर तो सब जानते है लेकिन इस मनोयोग का आशय सिर्फ संसार को उन सांसारिक बंधनों से अवगत करना है जो अंततः समाज के रचना का कारक होते है। बनारसियों को अपने आराध्य का हर साल तिलक हल्दी शादी और फिर विदाई का इन्तजार होता है क्योंकि बाबा है तो बनारसी है।

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महाशिवरात्रि पर शिव को दूल्हा और गौरा को दुल्हन बनाने की तैयारी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर जोर शोर से चल रही है। महंत आवास को रंग बिरंगे झालरों और फूलों से सजाया जा रहा है। खास अवसर के लिए शिव और पार्वती के लिए विशेष परिधान तैयार कराए गए हैं। दूल्हा बनने वाले भगवान शिव के सिर पर मेवे का सेहरा सजेगा तो देवी पार्वती गुजरात का लहंगा धारण कर विवाह मंडप में विराजमान होंगी। डा. कुलपति तिवारी ने बताया भगवान शंकर की रजत मूर्ति को धारण कराया जाने वाला सेहरा सूखे मेवों से तैयार कराया गया है। वहीं माता गौरा के लिए गुजरात का गुलाबी लहंगा खासतौर से मंगाया गया है। बहुरंगी रेशमी धागों से की लहंगे पर कढ़ाई की गई है। लहंगे के बार्डर पर नगदार गोटे भी लगवाए गए हैं। महाशिवरात्रि पर 11 मार्च को विवाह की रस्म विधि विधान से पूर्व महंत आवास पर रात्रि आठ से दस बजे तक होगी। विवाह की परंपरा का निर्वाह करने के उपरांत पूर्व महंत परिवार के सदस्य बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के चल विग्रह को विवाह का रस्म अदायगी के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर में लाएंगे।

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