
प्रदेश में 1130 फर्जी अध्यापक सभी डिग्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 18 मार्च
– संपूर्णानंद संस्कृत विवि की फर्जी डिग्री का कारखाना
– विश्वविद्यालय में भी फर्जी डिग्री पर पढ़ा रहे है प्रोफ़ेसर
– 69 जिलों के 5797 अध्यापकों में 1130 की डिग्री फर्जी , 207 संदिग्ध
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियों के बनाने और बेचने का बड़ा रैकेट सक्रिय रहा है। आलम यह है कि इस विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री के सहारे प्रदेश के कई जगहों पर सालों से अध्यापन कर रहे है और बच्चों के भविष्य संग सरकारी कोष को चट कर रहे हैं। हालिया मामला एसआईटी की रिपोर्ट पर है जिसके अनुसार प्रदेश के 75 जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में 1130 फर्जी शिक्षक अध्यापन कार्य कर रहे है। रिपोर्ट का खुलासा उच्च शिक्षा विभाग को दोषियों के खिलाफ कारवाई करने लिए रिपोर्ट से हुआ जिसे उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को भेजा है।
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वाह रे विश्वविद्यालय , जहाँ नहीं है सत्यता
फर्जी डिग्रियों के सहारे प्राइमरी विद्यालयों में अध्यापन करने का मामला की शिकायत पर सत्यता को परखने के लिए शासन ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। जिसके बाद एसआईटी ने 2004 से 2014 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में चयनित उन शिक्षकों के अभिलेखों का एक बार फिर डिग्री सत्यापन फैसला लिया।फैसले में पुनः संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से उपाधि को ही लक्ष्य किया गया । एसआईटी को अब तक मिले 69 जिलों के रिपोर्ट में 5797 अध्यापकों में 1130 के प्रमाण पत्र फर्जी और 207 के संदिग्ध मिले हैं। यानि अब तक 1327 अध्यापक फर्जी डिग्रियों से नौकरी का मजा ले रहे है।ये संख्या अभी और बढ़ेगा क्योकि अभी 6 जिला के रिपोर्ट आने बाकी है।
आखिर दोषी कौन ?
इतने बड़े फर्जीवाड़ा का तोहमत एसआईटी ने अपनी जांच में विश्वविद्यालय के दस अधिकारियों-प्रोफेसरों व नौ कर्मचारियों पर लगाया है। कुछ तो अधिकारी कर्मचारी अपनी नौकरी पूरी कर चुके हैं। इस जद में कुछ आरोपियों का वर्तमान काफी मजबूत है इनमें दो विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं।
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सत्यापन का रिपोर्ट में बलिया सबसे आगे
सत्यापन में गाजीपुर के 87 शिक्षकों में 81 का जिनमें 11 की डिग्री फर्जी , 15 की संदिग्ध । जौनपुर में 356 शिक्षकों में 49 की फर्जी ,3 संदिग्ध । चंदौली में 188 में 15 फर्जी और एक संदिग्ध। मिर्जापुर में 76 में 17 फर्जी ,2 संदिग्ध। भदोही में 221 में 30 फर्जी। सोनभद्र में 68 में 17 फर्जी। आजमगढ़ में 125 में 43 फर्जी। बलिया में 232 में 136 फर्जी और मऊ में 94 में 21 फर्जी रहे है ।
फर्जी दर फर्जी डिग्रियां
सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री बनाने और बचने का कारखाना रहा है। जब इतनी बड़ी संख्या में लोग शिक्षण कार्य में है तो कैसे न माना जाय कि दूसरे विभागों में भी कुछ ऐसा ही खेल होना सम्भावी है।
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