तिथि विशेष / इन्नोवेस्ट डेस्क / 7 अगस्त
संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी – शुक्रवार, 7 अगस्त
सर्व संकटों का शमन – संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से
चन्द्रोदय – रात्रि 09 बजकर 13 मिनट पर
हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रथम पूज्य देव भगवान श्रीगणेशजी को सर्वोपरि माना जाता है। हर शुभ कार्यों में श्रीगणेशजी की पूजा सर्वप्रथम की जाती है। खुशहाली के लिए संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखने की धार्मिक मान्यता है। प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत रखने का विधान है। इस बार यह व्रत शुक्रवार, 7 अगस्त को रखा जाएगा। ज्योतिषविद् विमल जैन के अनुसार भाद्र कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि गुरुवार, 6 अगस्त को अद्र्धरात्रि 12 बजकर 15 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन शुक्रवार, 7 अगस्त को अर्ध रात्रि के पश्चात् 2 बजकर 07 मिनट तक रहेगी। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत शुक्रवार, 7 अगस्त को रखा जाएगा। चन्द्रोदय रात्रि 9 बजकर 13 मिनट पर होगा। चन्द्र उदय होने के पश्चात् विधि-विधान पूर्वक चन्द्रमा को अर्घ देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाएगी।
भगवान श्रीगणेशजी को ऐसे होंगे प्रसन्न
व्रत के दिन प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सायंकाल पुन: स्नान करके श्रीगणेश जी की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी को मोदक एवं दूर्वा अति प्रिय है, अतएव दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवे एवं मोदक अवश्य अॢपत करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करना चाहिए।
ऐसे होगी मनोरथ की पूर्ण
श्रीगणेशजी की महिमा में श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश सहस्रनाम, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, श्रीगणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए एवं श्रीगणेश जी से सम्बन्धित मंत्र-स्तोत्र आदि जो भी सम्भव हो अवश्य किया जाना चाहिए। व्रत के दिन व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों का शुभ फल नहीं मिल रहा हो उन्हें आज के दिन व्रत उपवास रखकर प्रथम पूज्यदेव श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी की अर्चना से सर्वसंकटों के निवारण के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली बनी रहती है।
जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रह जनित दोष हो तो संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सर्वविघ्न विनाशक प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। वर्तमान समय में जिन्हें अपने जीवन में संकटों का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें भी आज के दिन श्रीगणेश जी का दर्शन-पूजन करके व्रत रखना चाहिए। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष, विद्याॢथयों एवं अन्य जनों के लिए समानरूप से फलदायी है। श्रीगणेश पुराण के अनुसार भक्तिभाव व पूर्ण आस्था के साथ किए गए संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है, साथ ही जीवन के समस्त संकटों का निवारण भी होता है।