प्रथम दिन – जानिए माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता का क्या है महत्व

प्रथम दिन – जानिए माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता का क्या है महत्व


शारदीय नवरात्र ” इन न्यूज़ ” विशेष ( 7 – 14 oct )

7 से 14 oct तक आठ दिवसीय होगा नवरात्र, पढ़िए पूरी जानकारी



वीडियो –

 


शारदीय नवरात्र
तिथि – प्रतिपदा ( पहला दिन )
दिनांक – 7 अक्टूबर , गुरुवार
देवी दर्शन – शैलपुत्री देवी, अलईपुर

भगवती दुर्गा का प्रथम स्वरूप भगवती शैलपुत्री shailputri के रूप में है। हिमालय के यहां जन्म लेने से भगवती को शैलपुत्री कहा गया। भगवती का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का पुष्प है। इन्हें पार्वती स्वरुप माना जाता है ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी मान्यता है की इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट मिट जाते हैं ।

धर्म गर्न्थो में
माँ की महिमा का पुराणों में वर्णन मिलता है कि राजा दक्ष ने एक बार अपने यहा यज्ञ किया और सारे देवी देवतायों को बुलाया मगर सृष्टि के पालनहार भोले शंकर को नहीं बुलाया ….इससे माँ नाराज हुई और उसी यज्ञ अग्नि कुण्ड में अपने को भष्म कर दिया …फिर यही देवी सैल राज के यहा जन्म लेती है शैलपुत्री के रूप में और भोले भंडारी तदैव प्रसन्न करती है ।

वाराणसी में माँ का अति प्राचीन मंदिर
शारदीय नवरात्री का प्रथम दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता का दर्शन का विधान है ! वाराणसी के अलईपुर क्षेत्र माता का मंदिर स्थापित है नवरात्र के पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है । हर श्रद्धालु के मन में यही कामना होती है की माँ उनकी मांगी हर मुरादों को पूरा करेंगी ।

भक्तों की भीड़
माँ को नारियल और गुड़हल का फूल काफी पसंद है !शारदीय नवरात्र पर कलश स्थापना के साथ ही माँ दुर्गा की पूजा शुरू की जाती है। पहले दिन माँ दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है। भक्तो की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम पुरे मंदिर परिसर सहित आस-पास के क्षेत्रो में रहता है। बैरिकेडिंग भी की गयी हैं ताकि भीड़ दर्शन करने की होड़ में बेकाबू न हो।


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