दूसरा दर्शन  – नवरात्र के दुसरे दिन माँ ब्रम्हचारिणी के दर्शन का विधान , पढ़िए पूरी की जानकारी

दूसरा दर्शन – नवरात्र के दुसरे दिन माँ ब्रम्हचारिणी के दर्शन का विधान , पढ़िए पूरी की जानकारी

शारदीय नवरात्र
तिथि – द्वितीया ( दूसरा दिन )
दिनांक – 8 अक्टूबर , शुक्रवार
देवी दर्शन – ब्रम्हचारिणी देवी, बालाजी घाट



वासंतिक नवरात्र के दुसरे दिन माँ ब्रम्हचारिणी के दर्शन होते है। नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ रूपों का दर्शन-पूजन होता है। दूसरे दिन माँ दुर्गा के द्वितीय रूप ब्र्हम्चारिणी का दर्शन का महात्म है। काशी में गंगा के किनारे बालाजी घाट पर स्थित माँ ब्रह्मचारिणी का अतिप्राचीन मंदिर है। यह मंदिर सैकड़ो वर्षो से यहाँ विद्यमान है। नवरात्र के द्वितीय दिन इस मंदिर में लाखो की संख्या में श्रद्धालु माँ दर्शनों के लिए आते है। कहा जाता है की माँ ब्रह्मचारिणी के दर्शनों से संतान की प्राप्ति होती है. साथ ही साथ माँ धन-धन्य से परिपूर्ण करती है। काशी के उत्तर दिशा में स्थित इस मंदिर में नवरात्र के द्वितीय दिन दर्शन का मान्यता है ,पुरनियों के अनुसार माँ ब्रह्मचारिणी ब्रह्मा जी की बेटी है। ब्रहम का अर्थ है तपस्या तथा तथा तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है ।

इस लिए कही गयी ब्रह्मचारिणी
माँ दुर्गा ने पर्वतराज के घर उनकी पुत्री यानि माता पार्वती के रूप में जन्म लिया था और महर्षि नारद के कहने पर शिव जी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की थी। इस कठोर तपस्या के दौरान उन्होंने कई वर्षों तक बिना अन्न-जल ग्रहण किये हुए बिताया था, जिसके चलते उनका नाम तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी पड़ा। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। इसीलिए ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।

ये है माँ का स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं, जो पूरी तरह से ज्योतिर्मय है। मां ब्रह्मचारिणी हमेशा शांत और संसार के दुःख-सुख से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं। कठोर तपस्या के कारण इनके चेहरे पर अद्भुत तेज और आभामंडल विद्यमान है। मां के एक हाथ में माला, तो दूसरे हाथ में कमंडल होता है। इन्हें साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना गया है और ये तपस्या की प्रतिमूर्ति भी हैं। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से सिद्धि प्राप्त होती है।



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