शारदीय नवरात्र
तिथि – तृतीया ( तीसरा दिन )
दिनांक – 9 अक्टूबर , शनिवार
देवी दर्शन – चन्दघन्टा देवी , चौक थाना के पास
शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति भगवती चंद्रघंटा की उपासना व आराधना की मान्यता है। मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक एवं कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचन्द्र है, इसी कारण मां को चन्द्रघंटा भी कहा जाता है। स्वर्ण की कांतिवाली मां की 10 भुजाएं हैं। खड्ग, बाण, गदा, त्रिशूल आदि अस्त्र- शस्त्र से सुसज्जित मां सिंह पर सवार युद्ध में जाने को उद्यत दिखती हैं। तीसरे दिन की पूजा-साधना में साधक का मन-मणिपुर चक्र में प्रवष्टि होता है और तब मां की कृपा से उसे अलौकिक दर्शन होते हैं। साधक के समस्त पापादी एवं बाधाएं भवानी की कृपा से स्वत: ही दूर हो जाती हैं। प्रेत बाधा आदि से भी मां मुक्ति देती हैं। बनारस में चंद्रघंटा देवी का मंदिर चौक स्थित चंद्रघंटा गली में है। शारदीय नवरात्र की तृतीया तिथि को देवी के चंद्रघण्टा स्वरूप की पूजा की जाएगी। ‘चंद्र:घण्टयां यस्सा: सा अह्लादकारी’ चंद्रमा जिसके घण्टे में स्थित हों, उस देवी का नाम चंद्रघण्टा है। भगवती का बीज मंत्र ‘हृी’ है। अर्द्धचंद्र से अलंकृत जो देवी का बीज है, वह सब मनोरथ पूर्ण करने वाला है। इस प्रकार एकाक्षर ब्रह्म का ऐसे यति ध्यान करते हैं, जिनका मन, हृदय शुद्ध है, जो नियति का मान्यपूर्ण और ज्ञान के सागर हैं।
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