काशी में गंगा की मिट्टी से बनी गंगा पुत्र भीष्म की प्रतिमा का पांच दिन होता है पूजन

काशी में गंगा की मिट्टी से बनी गंगा पुत्र भीष्म की प्रतिमा का पांच दिन होता है पूजन


शिव कि नगरी काशी,जहाँ तमाम तीज त्यौहार के बीच कार्तिक मास के एकादशी से पूर्णिमा तक अगले पाच दिन तक गंगा पुत्र भीष्म की पूजा की जाती है भीष्म गंगा पुत्र है लिहाजा घाट किनारे मिटटी कि अस्थायी बनी मूर्ति को आकार दिया जाता है सुबह सवेरे गंगा स्नान के बाद श्रद्धालु पूजन करती है। मान्यताओ के अनुसार ऐसा करने से तमाम पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
काशी में तीज त्यौहार और लोकाचारों की कमी नहीं। सात वार और नौ त्योहार की इस नगरी में गंगा पुत्र भीष्म भी पूजे जाते हैं । पंचांगों में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णमासी तक भीष्म पंचक माना गया है। भीष्म के नाम कार्तिक के अंतिम पांच दिन उनके दर्शन-पूजन करते हैं। बनारस के अस्सी घाट, केदार घाट ,रामघाट व पंचगंगा घाट के किनारे गंगा पुत्र भीष्म की प्रतिमा को गंगा माटी से आकार दिया गया। घाट किनारे बनी प्रतिमा का दर्शन-पूजन भोर से ही शुरू हो जाएगा।
यह परम्परा सैकड़ों बरस पुरानी है। पंचक के दिन गंगा स्नान और दर्शन-दान शुरू होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तिथि तक चलता है। ऐसा न करने पर कार्तिक मास के दान-दर्शन का पुण्य भीष्म को मिल जाता है। जो कार्तिक मास में गंगा स्नान नहीं कर पाते हैं वे पंचक के पांच दिन गंगा स्नान और भीष्म दर्शन कर पूरे मास का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।


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