
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का मानना है कि आप साथ रहिए या विरोध में, अगले 20-30 साल तक राजनीति बीजेपी के इर्दगिर्द रहेगी। आजादी के बाद के 50-60 सालों में राजनीति कांग्रेस के इर्दगिर्द घूमती थी। लेकिन आज इसके केंद्र में बीजेपी है। 1977 के दौर को छोड़कर आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस राजनीति के केंद्र में रही थी। उस समय भी आज जैसा माहौल था। आप साथ रहिए या विरोध में, उस समय राजनीति का हर पैंतरा कांग्रेस की तरफ से था या फिर उसके विरोध में।
कांग्रेस का हाल
1984 के दौर में कांग्रेस चरम पर थी। उस समय मिली जीत ऐतिहासिक थी। वो बहुत बड़ी जीत थी। लेकिन 1990 के बाद के दौर में कांग्रेस सिमटने लग गई। 2000 के बाद सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी खड़ी हुई और अटल बिहारी जैसी शख्सियत को चुनौती दी। उसके बाद 10 सालों तक यूपीए की सरकार भारत में रही। लेकिन इस दौर को ऐसा नहीं माना जा सकता कि हर तरफ कांग्रेस थी। गठबंधन की बैसाखी पर चलकर वो सरकार बना तो रही थी पर उसकी वो अपील नदारद थी जो 90 के पहले हुआ करती थी।
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