काशी के असि नदी तट पऱ स्वामी प्रसाद मौर्य का हुआ पिंड दान

काशी के असि नदी तट पऱ स्वामी प्रसाद मौर्य का हुआ पिंड दान

सनातन का अर्थ किसी का प्रतिद्वंदी नहीं होता है, सनातन का अर्थ होता है, हीन मानसिकता और आचरण को दूर कर सबको लौकिक उत्कर्ष, पारलौकिक उत्कर्ष, भगवत्प्राप्ति का मार्ग देना यही सत्य सनातन धर्म है, शास्त्रों के आधार पर शिवत्व की प्राप्ति । अर्थात मोक्ष प्राप्त करना।

प्राचीन भारत के पुराणों में म्लेच्छ उन्हें कहते थे। जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र से इतर थे….यही सनातन के चार स्तंभ हैं। जैसे मनुष्यों की वे जातियों जिनमें वर्णाश्रम धर्म न हो । इस शब्द का अर्थ है—अस्पष्ट भाषी अथवा ऐसी भाषा बोलने वाला जिनमें वर्णों का व्यक्त उच्चारण न होता हो ।

अजय शर्मा कहते है

पंथ-धर्म बाटने की तोड़ने की बात करेगा।या पवित्र सनातन के पवित्र धर्म ग्रंथो को जलाने या नष्ट करने की कल्पना या बात करेगा। उसका हम धर्मनिष्ठ काशीवासी एवं ब्राह्मण सभा पिंड दान करेंगे। जिससे वह व्यक्ति किसी भी शुभ कार्य में सम्मिलित होने योग्य ही न बचें।
आज वर्तमान में रामचरितमानस जलवाने वाले और सनातन समाज एवं ब्राह्मण समाज का अपमान करने वाले ( स्वामी प्रसाद मौर्य) का पिंडदान शास्त्र एवं तांत्रिक विधि से काशी पार (असि) नदी के किनारे संपन्न किया गया।

काशी पार क्यू?

इस (असि ) नदी का उद्गम प्रतापगढ़ से हुआ था।
काशी के पार इनका पिंडदान इसलिए किया गया की इनको मोक्ष न मिले।

मौजूदगी

अजय शर्मा प्रदेश अध्यक्ष केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के नेतृत्व में महाब्रह्मण सभा के अध्यक्ष ,राकेश चौबे,श्याम पांडे कर्मकांडी ब्राह्मण , और दीपू तिवारी, संजय मिश्रा ,अभय पाठक , रवि उपाध्याय ,सत्यम पांडेय , विनय पांडेय , अनुकूल पंडित

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