अनोखी पहल..  ना मृत्युभोज करेंगे,  ना मृत्युभोज में जायेंगे

अनोखी पहल.. ना मृत्युभोज करेंगे, ना मृत्युभोज में जायेंगे

– कफन की जगह दिए जायेंगे रुपए
– हिंदू धर्म के सभी कर्म काण्ड करते हुए ब्राह्मण सहित परिवार के लोग ही करेंगे भोजन

वाराणसी। जब किसी के घर परिवार के सदस्य की मृत्यु हो जाए। और उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट जाए। उसी में समाज के लोक लाज के नाते बड़े पैमाने पर मृत्यु भोज करना पड़े। तो उस परिवार के सदस्यों का दुख और बढ़ जाता है। हो सकता है कि मृत व्यक्ति के इलाज में हुए खर्च के आर्थिक बोझ से परिवार का सदस्य पहले से दबा हो। लेकिन समाज की लोक लाज के मारे फिर कर्ज लेकर बड़े पैमाने पर मृत्यु भोज करने की मजबूरी आ गई हो। इसी से बचने बचाने के लिए मृत्यु भोज का बहिष्कार करने का निर्णय वाराणसी जनपद के पिंडरा ब्लाक के मुर्दी गांव के लोगों ने किया है। मुर्दी गांव के लोगों का मानना है कि किसी भी बीमार व्यक्ति के इलाज में पैसा खर्च करने के बाद उसकी मौत हो जाती है। उसी में समाज के दिखावे के चक्कर में परेशान व्यक्ति फिर मृत्यु भोज बड़े पैमाने पर करता है। जिसके कारण वह पुनः आर्थिक बोझ में दब जाता है। जिससे उसके परिवार का जीवन यापन घर के बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ जाती है। साथ ही शव यात्रियों के लौटते समय साथ गए हुए सभी व्यक्तियों को बड़े पैमाने पर किसी मिष्ठान की दुकान पर मिठाई और पूडी खिलाने का भी बहिष्कार करने का संकल्प लिया गया। और कफन की जगह उसके मृत शरीर के पास जो मर्जी वह रुपए रखने का भी संकल्प लिया गया। ताकि उन रुपयों का काम उसी व्यक्ति के शव की अंतिम क्रिया करने में किया जा सके। साथ ही मृत्यु भोज का बहिष्कार करते हुए किसी के द्वारा मृत्यु भोज का निमंत्रण मिलने पर भी ना जाने का निर्णय लिया गया। लेकिन हिंदू रीति रिवाज से पूरे क्रिया कर्म को करते हुए ब्राह्मण भोज में मात्र ब्राह्मण के साथ घर परिवार के लोग ही सम्मिलित रहेंगे। पहले से दिखावे के लिए होने वाले मृत्यु भोज का बहिष्कार करने का संकल्प लिया गया। जिसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में जोर शोर से हो रही है। जिसको सुन समझ कर अन्य गांव के लोग भी इस बात पर विचार कर मृत्यु भोज के बहिष्कार का निर्णय कर सकते हैं।
विकास खंड पिंडरा के सिंधोरा थाना क्षेत्र के ग्राम सभा चमरु (मुर्दी) में स्थित प्राचीन वनसत्ती माता मंदिर पर समस्त गांव के लोगों ने बैठक कर मृत्यभोज (तेरहवीं भोज) के आयोजन का बहिष्कार कर एतिहासिक फैसला लिया।इस पहल में जिला पंचायत सदस्य शरद यादव व समाज सेवी सुनिल यादव के आवाह्न पर तेरहवीं में न खाएंगे न खिलाएंगे का संकल्प लिया गया। साथ ही शवयात्रा में शामिल कोई भी जलपान नहीं करेगा। कफ़न के स्थान पर आर्थिक सहयोग दिया जाएगा। इसी कड़ी में वरिष्ठ नागरिक तुकाराम यादव ने कहा कि समय के हिसाब से जिस प्रकार सती प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त कर विधवा विवाह आरम्भ कर महिलाओं को हक़ और सम्मान समाज में दिया गया। उसी तरह समाज पर बोझ बनी मृत्यु भोज जैसी कुरीतियों को समाप्त कर देना सभी के हित में रहेगा।

इस निर्णय में डाक्टर भोला यादव,प्रभुनाथ यादव, अरबिन्द यादव, कमलेश यादव वकील, प्रधान कबिनद्र यादव, पप्पू यादव,रामकृत यादव, बिरेंद्र यादव, अमरनाथ यादव, अभिषेक, चन्द्रशेखर, अनिल,अमित कुमार, प्रधान बबलू राम सहित गांव के सभी नौजवान और बड़े बुजुर्ग उपस्थित रहे।

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