
अनन्त चतुर्दशी
31 अगस्त, सोमवार
( मध्याह्न युक्त ) 1 सितम्बर, मंगलवार ( उदयातिथि युक्त
अनन्त सूत्र धारण करने से होती है होगी मनोकामना पूरी ,अनन्त चतुर्दशी के व्रत से सुख-समृद्धि व सौभाग्य ,भगवान श्रीविष्णुजी की होती है विशेष पूजा, जैनधर्म का प्रमुख पर्व अनन्त चतुर्दशी
भारतीय संस्कृति के सभी धर्मों में सभी पर्व खास देवी-देवताओं से जुड़े हुए हैं। व्रत त्योहार व पर्व पूर्ण भक्तिभाव के साथ मनाने की परम्परा है।भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन अनन्त चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर क्षीरसागर में शेषनाग की शैया पर शयन करने वाले भगवान् श्रीविष्णु जी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि 31 अगस्त, सोमवार को सम्पूर्ण दिन रहेगा। जिसके फलस्वरूप अनन्त चतुर्दशी का व्रत 31 अगस्त, सोमवार को रखा जाएगा। उदयातिथि के अनुसार 01 सितम्बर, मंगलवार को अनन्त चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
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विमल जैन ने बताया कि भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि 31 अगस्त, सोमवार प्रात: 8 बजकर 49 मिनट पर लगेगी जो 01 सितम्बर, मंगलवार को प्रात: 9 बजकर 39 मिनट तक रहेगी। अनन्त चतुर्दशी के व्रत से व्यक्ति को अपने जीवन में भगवान् श्रीविष्णु जी के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि का सुयोग बना रहता है, साथ ही व्यक्ति का जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है। अनन्त चतुर्दशी के व्रत को 14 वर्ष तक नियमपूर्वक करने पर जीवन के समस्त दोषों का शमन होता है तथा सुख-समृद्धि में अभिवृद्धि होती रहती है।
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ऐसे करें व्रत व पूजा –
विमल जैन के अनुसार प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान के पश्चात् अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा के उपरान्त अनन्त चतुर्दशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत के दिन भगवान् श्रीविष्णुजी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन कच्चे सूत के धागे को 16 गाँठ लगाकर उसे हल्दी से रंगने के पश्चात् विधि-विधानपूर्वक अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्य, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। इस सूत्र को अनन्त सूत्र भी कहा जाता है। इस सूत्र को पुरुष दाहिने हाथ में तथा महिलाएँ बाएँ हाथ की भुजा में धारण करती हैं। व्रतकर्ता को व्रत वाले दिन, दिन में शयन नहीं करना चाहिए।
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व्यर्थ की वार्तालाप से बचना चाहिए। अपने जीवनचर्या में शुचिता बरतनी चाहिए। अनन्त सूत्र को 14 दिन तक धारण करने के पश्चात् 15वें दिन गंगाजी, नदी अथवा स्वच्छ जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। अपनी परम्परा व रीति-रिवाज के अनुसार अनन्त सूत्र (धागे) को वर्षपर्यन्त अगले अनन्त चतुर्दशी तक धारण करने का भी विधान है। व्रत के दिन नमक ग्रहण करना वॢजत है। एक ही अन्न से निॢमत नमक रहित भोज्य सामग्री या फलाहार ग्रहण किया जाता है। व्रत के दिन अनन्त चतुर्दशी के कथा का पठन व श्रवण भी किया जाता है। इस दिन ब्राह्मण को यथासामर्थ्य अन्न व नकद द्रव्य आदि दान करने के उपरान्त उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके पुण्य अर्जित करना चाहिए।
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