
#Neerja_Bhanot – इसे कहते है Real hero
नीरजा भनोट अशोक चक्र से सम्मानित मुंबई के पैन ऍम एयरलाइन्स की परिचारिका थी। 5 सितम्बर 1986 को हाईजैक हुए पैन ऍम फ्लाइट 73 में यात्रियों की सहायता एवं सुरक्षा करते हुए वह आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गयी थी। उनकी इस बहादुरी के लिये उन्हें भारत सरकार ने शांति काल के अपने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार “अशोक चक्र ” से सम्मानित किया।
एक थी नीरजा
भनोट चंडीगढ़ में जन्मी नीरजा रमा भनोट और हरीश भनोट की बेटी थी, पिता द हिंदुस्तान टाइम्स मुबई में पत्रकार थे। नीरजा की प्रारंभिक शिक्षा गृहनगर से सेक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल की हुई। 1985 में दाम्पत्य सूत्र में बंधी और वह पति के साथ खाड़ी देश पहुंची कुछ दिनों बाद दहेज़ के दबाव को लेकर इस रिश्ते में खटास आयी और विवाह के मात्र दो महीने बाद ही नीरजा माँ के पास मुंबई आ गयी। जहाँ पैन ऍम 73 में विमान परिचारिका की नौकरी संभाली।
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यूँ दिया था बहादुरी का परिचय Real hero
5 सितम्बर 1986 कोमुंबई से अमेरिका जाने वाली पैन एम फ्लाइट 73 को पकिस्तान के कराची एअरपोर्ट पर हाईजैक कर लिया गया था। विमान में 376 यात्री और 19 क्रू मेंबर थे। आतंकवादी की मांग जेल में कैद उनके साथियों को रिहा था। हाईजैक की सारी जानकारी को पायलट को पहुंचने पर आतंकवादियों ने उसकी चोटी पकड़कर रोक दिया लेकिन फिर भी उसने कोड भाषा में अपनी बातो को उन तक पहुंचा ही दिया। जैसे ही प्लेन के पायलट, सह-पायलट और फ्लाइट इंजिनियर विमान को विमान अपहण की जानकारी हुई ये विमान छोड़कर भाग निकले। इधर आतंकवादियों ने 23 साल की आयु की नीरजा से सभी यात्रियों के पासपोर्ट इकट्टे करने को कहा जिससे अमेरिकन की पहचान हो सके। जिनका मकसद अमेरिकी यात्रियों को मारना था लिहाजा नीरजा ने सुझबुझ दिखाते हुए 41 अमेरिकन के पासपोर्ट छुपा दिए फिर भी 41 अमेरिकियों में से केवल 2 को ही आतंकवादी मारने में सफल हुए। आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सरकार को विमान में पायलट भेजने को कहा लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने मना कर दिया। अब उन आतंकवादियों ने एक ब्रिटिश नागरिक को विमान के द्वार पर लाकर पाकिस्तानी सेना को धमकी दी की अगर उन्होंने पायलट नही भेजा तो वो उसे मार देंगे तभी नीरजा ने आतंकवादियों से बात कर उस ब्रिटिश नागरिक को बचाया। खड़ी विमान का कुछ घंटो बाद फ्यूल खत्म हो गया लिहाजा विमान में अँधेरा हो गया। परेशां हाईजैकर अँधेरे में ही गोलीबारी करना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ अपने फौलादी इरादों संग अँधेरे का फायदा उठाते हुए नीरजा ने आपातकालीन द्वार खोलकर कई यात्रियों को बाहर निकालने का प्रयास शुरू की नीरजा पहले खुद को बचा सकती थी लेकिन उसने ऐसा नही किया और सभी यात्रियों को बाहर निकालने के बाद बचे हुए तीन बच्चो को में गोली की शिकार हो गयी।
सलाम है इस भारत के वीरांगना को
अपने जन्मदिन से दो दिन पहले शहीद होने वाली भारत की इस बेटी पर ना केवल भारत बल्कि पकिस्तान और अमेरिका भी रोया था क्योकि उसने कई अमेरिकी और पाकिस्तानी लोगो की भी जान बचाई थी। नीरजा भनोट को विश्व में “The Heroine of the Hijack” के नाम से पुकारा जाता है और अशोक चक्र पाने वाली वह सबसे कम उम्र की भारतीय महिला है. उनकी इस बहादुरी के लिये उन्हें विश्व में बहोत से पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया था। नीरजा भनोट #Neerja_Bhanot को भारत सरकार ने इस अद्भुत वीरता और साहस के लिये मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया जो भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है। अपनी वीरगति के समय नीरजा की उम्र केवल 23 साल की ही थी। इस प्रकार वह यह पदक प्राप्त करने वाली पहली महिला और सबसे कम आयु की नागरिक बनी। पकिस्तान सरकार की ओर से उन्हें तमगा-ए-इंसानियत से नवाजा गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीरजा का नाम हेरोइन ऑफ़ हाईजैक के तौर पर मशहूर हैं। वर्ष 2004 में, उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया और अमेरिका ने वर्ष 2005 में उन्हें जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड से सम्मानित किया। उनकी बहादुरी को फेब्रुअरी 2016 में आई “नीरजा” Neerja फिल्म में भी दिखाया गया है, जिसमे नीरजा भनोट की भूमिका सोनम कपूर ने अदा की है। इसके अलावा उनकी याद में एक संस्था नीरजा भनोट पैन एम न्यास की स्थापना भी हुई जो उनकी वीरता को स्मरण करते हुए महिलाओ को अदम्य साहस और वीरता हेतु पुरस्कृत करती है। उनके परिजनों द्वारा स्थापित यह संस्था प्रतिवर्ष दो पुरस्कार प्रदान करती है जिनमे से एक विमान कर्मचारियों को वैश्विक स्तर पर प्रदान किया जाता है और दूसरा भारत में महिलाओ को विभिन्न प्रकार के अन्याय और अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाने और संघर्ष के लिये. प्रत्येक पुरस्कार की धनराशी 150000 रुपये है और इसके साथ पुरस्कृत महिला और एक ट्राफी और स्मृतिपत्र भी दिया जाता है। इस तरह पुरे विश्व में उनकी इस बहादुरी से भरे काम की सराहना की और पुरस्कृत किया, और नीरजा ने देश ही नही बल्कि पुरे विश्व में भारत का नाम रोशन कर दिया।
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” वंदे मातरम ” से किया राष्ट्र को नमन
इन्नोवेस्ट टीम का नमन –
आज 7 सितम्बर को उस बलिदान की मूर्ति को उनके जन्मदिवस पर भारत माँ की वीरांगना को नमन करता हैं जिसने अपनी सूझबूझ, बहादुरी और चतुराई से सैकड़ों लोगों के प्राणों की रक्षा की महिला का मान बढाया।
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- डॉ संतोष ओझा