city crime / innovest / 16 sep
– हर दूसरे साल आते है ये किन्नर – अकाल मृत्यु प्राप्त जीव को मिलता है मोक्ष – गंगा से पूर्व का हैं ये यहाँ स्थित सरोवर
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक के तिथि में अपने पितरों के श्राद्ध की परम्परा है। ये श्राद्ध या महालया पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म और वैदिक मान्यताओं में पितृ योनि की स्वीकृति और आस्था के कारण श्राद्ध का प्रचलन है। पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है। यही वजह है कि हिन्दुधर्मावलम्वियों द्वारा इन 16 दिनों में अपने अपने पितरों को बड़े श्रद्धा से श्राद्ध और तर्पण करते है।
मोक्षदायिनी नगरी काशी में पुरे पक्ष में तर्पण और मोक्ष की कामना किया जाता है। काशी का पिचाशमोचन तीर्थ उन दिवंगतों के मोक्ष के लिए जाना जाता है जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए है ऐसी ही हूत आत्मायों के मोक्ष के कामना लिए देशभर के किन्नरों ने किन्नर अखाड़ा केमहामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ पिशाच मोचन पर ज्ञात-अज्ञात पितरों सहित किन्नर गुरुओं के आत्मा की शांति हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध किया। करीब दो घंटे तक चले इस पूजन को मुन्ना लाल पंडा ने सम्पादित कराया। साथ ही मुख्य आचार्य नीरज पांडेय ,आनंद पांडेय, श्री मणिकर्णिका तीर्थ पुरोहित गौरव द्विवेदी व गंगा महासभा के राष्ट्रीय मंत्री मयंक कुमार आदि लोगों का सहयोग रहा।
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