
किन्नरों ने अपनो के मोक्ष के लिए किया त्रिपिंडी श्राद्ध
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक के तिथि में अपने पितरों के श्राद्ध की परम्परा है। ये श्राद्ध या महालया पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म और वैदिक मान्यताओं में पितृ योनि की स्वीकृति और आस्था के कारण श्राद्ध का प्रचलन है। पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है। यही वजह है कि हिन्दुधर्मावलम्वियों द्वारा इन 16 दिनों में अपने अपने पितरों को बड़े श्रद्धा से श्राद्ध और तर्पण करते है।
मोक्षदायिनी नगरी काशी में पुरे पक्ष में तर्पण और मोक्ष की कामना किया जाता है। काशी का पिचाशमोचन तीर्थ उन दिवंगतों के मोक्ष के लिए जाना जाता है जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए है ऐसी ही हूत आत्मायों के मोक्ष के कामना लिए किन्नर समाज के लोगो ने आज काशी के पिशाच मोचन स्थित घाट पर किन्नर अखाड़ा के नेतृत्व में ज्ञात-अज्ञात पितरों सहित किन्नर गुरुओं के आत्मा की शांति हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध किया । लगभग दो घंटे तक चले इस पूजन को मुन्ना लाल पंडा ने विधि-विधान से पूर्ण कराया।आपको बताते चले कि महाभारत काल के शिखंडी द्वारा पिंडदान किए जाने के करीब तीन सौ वर्षों बाद महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में किन्नरों ने कुछ वर्ष पूर्व काशी आकर अपनो का पिंडदान किया और एक नई परम्परा की शुरुआत की थी।जिसके बाद से किन्नरों का यह दल प्रत्येक दो वर्ष पर अपनो के आत्मा शांति और उनके मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस पितृ पक्ष पखवारे के दौरान काशी पहुंचकर पूरे विधि-विधान के साथ तर्पण कर प्रार्थना करते है।
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