
मोदी का काशी देश में दूसरा सबसे अधिक प्रदूषित शहर, कौन है पहला शहर
सिटी क्राइम / इन्नोवेस्ट डेस्क / 1 oct
– वाराणसी में वायु गुणवत्ता का आंकड़ा पहुंचा ख़राब स्तर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए
– बढ़ता वायु प्रदूषण बेहद नुकसानदायक देश में
– 70 लाख लोगों की मृत्यु प्रदूषित हवा के कारण
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ो के मुताबिक वाराणसी शहर की हवा ख़राब स्तर पर जा पहुंची है बात एक्यूआई की करे तो यह बढ़ते हुए 256 पर जा पहुंचा है जिसमे पार्टिकुलेट मैटर 400 है जो सबसे ज्यादा कहा जाएगा। देश में बनारस से भी ख़राब हालत लखनऊ के है ये शहर अपनी उपस्थित पहले नंबर पर दर्ज कराया है। ये रिपोर्ट कल यानि महीने के अंतिम दिन 30 सितम्बर 2020 का हैं।
कोविड के कारण लॉक डाउन दौरान औद्योगिक इकाइयों का बंद रहना, सड़कों पर डीज़ल-पेट्रोल से चलित वाहनों का आवागमन बंद रहना साथ ही कूड़े-कचरे का जलना भी बंद रहा जिनके कारण सभी ने स्वच्छ वायु को महसूस किया और वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी मानक के अनुकूल ही रहें लेकिन एक बार फिर उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी, और आगरा जैसे शहर में हवा घुल गया है। क्लाइमेट एजेंडा के एकता शेखर कहते है कि इस समय जहाँ एक ओर कोविड 19 के आंकड़ो में बढ़ोत्तरी हो रही है वहीँ दूसरी वायु प्रदूषण के आंकड़ो का बेहद ख़राब स्तर पर पहुँचाना चिंता का विषय है। पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए व्यापक एक्शन प्लान तैयार किया गया और उससे पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यनीति भी जनवरी 2019 में घोषणा थी। यह दोनों कार्ययोजना कागजों तक सीमित है, व्यावहारिक रूप से इसका क्रियान्वयन किसी भी शहर होता नही दिख रहा है। प्रशासन और विभागों कि यह लापरवाही प्रदेशवासियों के जीवन को खासा खतरे में डाल रही है।
जहरीली हवा से नुकसान, सरकार मौन
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 70 लाख लोगों की मृत्यु प्रदूषित हवा के कारण होती है। वायु प्रदूषण से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मनोदशा पर भी प्रभाव दिखता है। वायु प्रदूषण सांस की बीमारियां की बात करें तो ब्रॉंन्कियल अस्थमा उग्र रूप धारण कर लेता है। इसके अलावा इससे थकान, सिरदर्द और चिंता, आंखों, नाक, गले में जलन, तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचना, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर बुरा डालता है।साथ ही इलर्जी, अस्थमा, कैंसर जैसे गंभीर रोगों के साथ ही यह हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी नष्ट करती है। डब्लूएचओ और भारत सरकार की माने तो कोरोना से बचने के लिए अपने इम्यून सिस्टम का ध्यान रखना जरुरी है, लेकिन बढ़ता वायु प्रदूषण और प्रशासन की लापरवाही आमजन को बड़े खतरे की ओर ढकेल नजर आ रही है।