प्रथम दिन शैलपुत्री –  देवी पर्व नवरात्र की सारी जानकारियॉं

प्रथम दिन शैलपुत्री – देवी पर्व नवरात्र की सारी जानकारियॉं

 

नवरात्र के पहले दिन होती है देवी के शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन
सिटी क्राइम / innovest news / 16 oct

शारदीय नवरात्री का प्रथम दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता का दर्शन का विधान है। वाराणसी के अलईपुर क्षेत्र माता का मंदिर स्थापित है जहाँ नवरात्र के प्रथम दिन भक्तो की भारी भीड़ रहती है। वाराणसी में देवी भगवती के नव स्वरूपों में अलग अलग मंदिर है जहाँ नवरात्री के प्रथम दिन से लेकर नवमी तक जगदम्बा के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन की मान्यता है। नवरात्र का पर्व शुरू होते ही नौ दिनों में देवी पूजा का विशेष महत्त्व है दुर्गा का अर्थ है , परमात्मा की वह शक्ति, जो स्थिर और गतिमान है, लेकिन संतुलित भी है। किसी भी प्रकार की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है और शक्ति की साधना का पथ अत्यंत गूढ और रहस्यपूर्ण है। हम नवरात्र में व्रत इसलिए करते हैं, ताकि अपने भीतर की शक्ति, संयम और नियम से सुरक्षित हो सकें, उसका अनावश्यक अपव्यय न हो। संपूर्ण सृष्टि में जो ऊर्जा का प्रवाह है, उसे अपने भीतर रखने के लिए स्वयं की पात्रता तथा इस पात्र की स्वच्छता भी जरूरी है।

शैलपुत्री देवी
शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है,भगवती का वाहन वृषभ है,माँ शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं. नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र’ जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का पुष्प है। इन्हें पार्वती स्वरुप माना जाता है ऐसी मान्यता है की देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी मान्यता है की इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट मिट जाते हैं ….माँ की महिमा का पुराणों में वर्णन मिलता है की राजा दक्ष ने एक बार अपने यहा यग्य किया और सारे देवी देवतायों को बुलाया मगर श्रृष्टि के पालन हार भोले शंकर को नहीं बुलाया ….इससे माँ नाराज हुई और उसी अग्नि कुण्ड में अपने को भष्म कर दिया …फिर यही देवी शैल राज के यहा जन्म लेती है शैलपुत्री के रूप में और भोले भंडारी तदैव प्रसन्न करती है ………

वाराणसी में माँ का अति प्राचीन मंदिर है …जहाँ नवरात्र के पहले दिन हजारों श्रधालुयों की भारी भीड़ उमड़ती है ….हर श्रद्धालु के मां से यही कामना होती है की माँ उनकी मांगी हर मुरादों को पूरा करेंगी ..माँ को नारियल और गुड़हल का फूल काफी पसंद है।

मास्क लगाकर ही जा सकते है देवी दर्शन को , जानिये सावधानियों को
सिटी क्राइम / innovest news / 16 oct

वर्ष में यूँ तो चार नवरात्र  होते है लेकिन वासंतिक और शारदीय नवरात्र का विशेष महत्त्व होता है जहाँ वासंतिक नवरात्र में गौरी का पूजन होता है तो शारदीय नवरात्र में दुर्गा  आराधना का विधान है। शक्ति उपासक इन नव रातो में शक्ति प्राप्त करने या  पुनः स्फूर्त हेतु जप तप और ध्यान का सहारा लेते है साथ  मंदिरों में खासा भीड़ रहता है  लिहाजा कई दिनों से दुर्गा मंदिरों की साफ सफाई और सजावट का काम किया जा रहा है वही मंदिरों के पास की दुकानों पर भी माँ के श्रृंगार ,पूजा एवं हवन सामाग्रियो की खरीदारी की गयी कल से ही घरो में कलश स्थापना के साथ पाठ का भी सिलसिला शुरू हो जायेगा जो दशमी को हवन के साथ समाप्त होता है। इन सब से अलग कोरोना काल के चलते मंदिरों में भक्तों को संक्रमण से बचने और बचाने के लिए सरकार द्वारा ठेरों दिशा निर्देश संग पाबंदियां जारी किया गया है जिसका पालन मंदिर प्रशासन के लिए आवश्यक होगा , बनारस के सभी दुर्गामंदिरों में कल से होने वाले दर्शन पूजन की व्यवस्था अलग होगी जिसके तहत आपको भी मास्क का प्रयोग करना आवश्यक होगा साथ ही भक्त एक दूसरे से दुरी बनाकर रखना होगा। घंटी बजाने पर पाबन्दी होगी , फूल और प्रसाद की भी मनाही है।

 

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14 अक्टूबर से बदला  बुध ग्रह ने चाल , 5 राशियों वाले बनेंगे मालामाल
सिटी क्राइम / innovest news / 16 oct

 

– तुला राशि में बुध की वक्री चाल के कारण बढ़ सकती हैं कुंभ सहित 7 राशि वालों की मुश्किलें
– मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु और कुंभ राशि वालो सावधान

 

बीते 14 अक्टूबर को बुध तुला राशि में वक्री होगा यानी टेढ़ी चाल से चलेगा। इसके बाद अगले महीने यानी 4 नवंबर से ये ग्रह सीधी चाल से चलने लगेगा।  बुध की चाल में बदलाव होने से 5 राशियों के लिए अच्छा समय शुरू हो जाएगा। वहीं अन्य 7 राशि वाले लोगों को संभलकर रहना होगा। बुध के प्रभाव से लेन-देन, अर्थव्यवस्था और कामकाज में बदलाव हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार जब कोई ग्रह वक्री होता है तो पृथ्वी से कुछ इस तरह दिखाई देता है जैसे वो बहुत धीरे या उल्टी चाल से पीछे की ओर चल रहा है। ज्योतिष ग्रंथों में वक्री ग्रहों का खास असर बताया गया है। पं.गणेश मिश्र के अनुसार बुध की चाल में बदलाव होने से वृष, मिथुन, कन्या, मीन और मकर राशि वालों के लिए समय शुभ रहेगा। वहीं, मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु और कुंभ राशि वाले लोगों को संभलकर रहना होगा।

12 राशियों पर बुध का असर
तुला राशि में बुध के वक्री हो जाने वृष, मिथुन, कन्या, मीन और मकर राशि वाले लोगों को धन लाभ हो सकता है। इन 5 राशियों को किस्मत का साथ भी मिलेगा। इन लोगों के कामकाज में तरक्की का समय भी है। बुध के कारण इन राशियों के लोगों की सेहत में भी सुधार हो सकता है। लेन-देन और निवेश में फायदा हो सकता है। रुका हुआ पैसा मिलने के भी योग बन रहे हैं। बुध के अशुभ असर की वजह से मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु और कुंभ राशि वालों के लिए समय ठीक नहीं कहा जा सकता है। इन 7 राशि वालों को 4 नवंबर तक संभलकर रहना होगा। कामकाज में जल्दबाजी या लापरवाही के कारण मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लेन-देन और निवेश के मामलों में लिए गए फैसले गलत होने की आशंका बन रही है। गुप्त बातें उजागर हो सकती है। सेहत संबंधी मामलों में सावधान रहना होगा। गले से जुड़ी बीमारी हो सकती है।

अशुभ असर से बचने के लिए गणेश पूजा
बुध के अशुभ प्रभाव से बचने और शुभ असर बढ़ाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। हर बुधवार को गणेश जी के दर्शन करें और लड्डू का भोग लगाएं। गाय को घास खिलाएं। मूंग का दान करें। गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं।   पानी में अपामार्ग यानी चिरचिटा की जड़ डालकर उस पानी से नहाएं। ऐसा करने से बुध ग्रह के अशुभ असर में कमी आ सकती है।

 

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