गोद में बालक स्कन्द,एक हाथ में कमल पुष्प और दूसरे वरमुद्रा में, ऐसी है स्कन्द माता
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 21 oct
सम्पूर्ण जगत की भलाई व देवताओं के कल्याण हेतु माँ दुर्गा भगवती नव रात्रि में नव रूपों अर्थात् प्रतिमाओं में प्रकट हुई। जिसमें स्कन्दमाता की प्रतिमा की उत्पत्ति नवरात्रि के ठीक पांचवे दिन भक्त जनों के हित के लिए होती है। वेद पुराणों में देवी देवताओं को न केवल माता-पिता की संज्ञा प्राप्त है, बल्कि वह भक्त वत्सल भी कहलाते है। इन्हीं को बागेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है।माता का स्वरूप स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।
इन्हें भी पढ़िए –
बुनकर – दो महीने में दूसरी बार काम बंद , मानव श्रृंखला संग प्रदर्शन
खबरें फटाफट- शहर की खबरें संग स्पेशल स्टोरी
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज सुनवाई , कोरोना अपडेट साथ ही और भी खबरें
नवरात्र से जुड़ें जानकारियां –
स्कन्द माता – पाँचवी शक्ति की स्वरूप ,दाम्पत्य जीवन के आंगन में वात्सल्य की प्राप्ति
शुम्भ-निशुम्भ के वध के बाद जहां आराम की थी कुष्मांडा देवी
in news – प्रेत बाधा से मुक्ति देती है चित्रघंटा या चन्द्रघण्टा माता
नवरात्र के दूसरे दिन माँ बह्मचारिणी
प्रथम दिन शैलपुत्री – देवी पर्व नवरात्र की सारी जानकारियॉं
इस बार देवी का वाहन घोड़ा होने से देश में हो सकती है राजनीतिक उथल-पुथल
in news विशेष में पढ़िए –
क्या है हैप्पी हार्मोंस .. , पढ़िए और जानिए खुश रहने का मन्त्र
हिन्दुओं का कब्रिस्तान , कहाँ और आखिर क्यूँ …
कूड़ा से खाना ढूंढता इंसान , भूख की इम्तिहान
” कलम अतिथि की ” हाल डाक सेवा के खस्ताहाली का
बनारस का है ये हाल खुलेआम चल रहा बेटियों का कत्लगाह – अंतरराष्ट्रीय बालिक दिवस विशेष
जानिए- स्वाहा बोलना क्यों है जरूरी