जानिये ,जाति और उम्र के अनुसार कन्या पूजन का क्या होता है फल लाभ
नवरात्र विशेष / इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 23 oct
– ज्योतिषविद् विमल जैन
मां दुर्गा के भक्तों के लिए नवरात्रि का समय बेहद ख़ास होता है। उनके लिए ये नौ दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। नवरात्रि के समय में पूजा-अर्चना करने के साथ ही वो माता को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी करते हैं। नवरात्रि की अष्टमी अथवा नवमी तिथि बहुत शुभ तथा कल्याणकारी होती हैं। अष्टमी अथवा नवमी पर भक्त किसी भी एक दिन कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन और भोजन कराते हैं। कन्या पूजन के लिए नौ छोटी बालिकायें नौ दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। इनके साथ का बालक बटुक भैरव का प्रतीक होता है।
उम्र भी होता है ख़ास
शास्त्रों में दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन वर्ष की कन्या-त्रिमूर्ति , चार वर्ष की कन्या-कल्याणी, पाँच वर्ष की कन्या-रोहिणी, छ: वर्ष की कन्या-काली, सात वर्ष की कन्या-चण्डिका, आठ वर्ष की कन्या-शाम्भवी एवं नौ वर्ष की कन्या-दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा के नाम से दर्शाया गया है।
फल प्राप्ति
कुमारी कन्या की आयु (उम्र) विशेष पूजा के अनुसार भी अलग-अलग फल मिलते हैं। दो वर्ष की कन्या—दु:ख दारिद्र्य से मुक्ति, तीन वर्ष की कन्या-धन-धान्य का सुयोग, चार वर्ष की कन्या-परिवार में मंगल कल्याण, पाँच वर्ष की कन्या-आरोग्य सुख तथा रोगमुक्ति, छ: वर्ष की कन्या-विजय और राजयोग, सात वर्ष की कन्या-ऐश्वर्य व वैभव में वृद्धि, आठ वर्ष की कन्या-वाद-विवाद में सफलता तथा नौ वर्ष की कन्या-शत्रुओं का पराभव एवं कठिन कार्य में पूर्णता तथा दस वर्ष की कन्या-समस्त मनोकामना की पूॢत। इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल मिलता है।
वर्ण का महत्त्व
देवीभागवत ग्रन्थ के अनुसार अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए अलग-अलग वर्ण या सभी वर्णों की कन्याओं का पूजन करना चाहिए। धर्मशास्त्रों में उल्लेखित है कि ब्राह्मण वर्ण की कन्या-शिक्षा ज्ञानार्जन व प्रतियोगिता, क्षत्रिय वर्ण की कन्या-सुयश व राजकीय पक्ष से लाभ, वैश्य वर्ण की कन्या-आॢथक समृद्धि व धनवृद्धि के लिए एवं शूद्र वर्ण की कन्या-कार्यसिद्धि एवं शत्रुओं पर विजय के लिए विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए। दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्या को देवी स्वरूप माना गया है, जिनकी नवरात्र पर भक्तिभाव के साथ पूजा करने से भगवती जगदम्बा का आशीर्वाद मिलता है।
सावधानियां
पूजन हेतु कन्याएँ अस्वस्थ, विकलांग एवं नेत्रहीन नहीं होनी चाहिए। फिर भी इनकी उपेक्षा न करते हुए इन कन्याओं की यथाशक्ति यथासामर्थ सेवा व सहायता करते रहने पर जगत् जननी माँ दुर्गा की कृपा सदैव बनी रहती है। कन्याओं का पूजन करने के पश्चात् उनको पौष्टिक व रुचिकर भोजन करवाकर उन्हें नव व , ऋतुफल, मिष्ठान्न तथा नगद द्रव्य आदि उपहार स्वरूप देकर उनके चरणस्पर्श करने चाहिए तत्पश्चात उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके पुण्यलाभ लेना चाहिए।
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