अष्टमी ,नवमी और दशमी का पंचांग , जानिए  कब क्या मनाया जायेगा

अष्टमी ,नवमी और दशमी का पंचांग , जानिए  कब क्या मनाया जायेगा

 

अष्टमी ,नवमी और दशमी का पंचांग , जानिए  कब क्या मनाया जायेगा
नवरात्र विशेष / इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 23 oct

– विमल जैन

अष्टमी तिथि – 23 अक्टूबर,दया तिथि के रूप में 24 अक्टूबर, शनिवार को , उदया तिथि के रूप में 24 अक्टूबर, शनिवार को
महानिशा पूजा – 24 अक्टूबर, शनिवार को मध्यरात्रि में
महानवमी –
  25 अक्टूबर, रविवार कोप्रात: 7 बजकर 00 मिनट से शुरू ,महानवमी का व्रत 25 अक्टूबर रविवार को
नवरात्र व्रत का पारण  – 26 अक्टूबर, सोमवार ,दशमी तिथि प्रात: 9 बजकर 01 मिनट तक

नवरात्र में जगतजननी माँ जगदम्बा दुर्गाजी की पूजा-अर्चना की विशेष महिमा है। नवरात्र के धार्मिक अनुष्ठान में पूजा-अर्चना के पश्चात् कुमारी कन्या की पूजा करना अत्यन्त आवश्यक है। कुमारी कन्याओं को त्रिशक्ति यानि महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती देवी का रूप माना गया है। नवरात्र में व्रतकर्ता को या देवीभक्त को व्रत के पारण के पूर्व कुमारी कन्या एवं बटुक की विधि-विधानपूर्वक पूजन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। श्रीदुर्गाजी की अर्चना करके हवन आदि करने का विधान है। इस बार 24 अक्टूबर, शनिवार को महाअष्टमी व 25 अक्टूबर, रविवार को महानवमी का व्रत रखा जाएगा। महानिशा पूजा 24 अक्टूबर, शनिवार को मध्यरात्रि में होगी।

इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 23 अक्टूबर, शुक्रवार को प्रात: 6 बजकर 57 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 24 अक्टूबर, शनिवार को प्रात: 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगी तत्पश्चात  नवमी तिथि लग जाएगी जो कि 25 अक्टूबर, रविवार को प्रात: 7 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। तदुपरान्त दशमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी, जो कि 26 अक्टूबर, सोमवार को प्रात: 9 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। अष्टमी तिथि उदया तिथि के रूप में 24 अक्टूबर, शनिवार को है, फलस्वरूप महाअष्टमी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। महानवमी का व्रत 25 अक्टूबर, रविवार को रखा जाएगा। महानवमी का व्रत रखकर जगदम्बाजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी। महाअष्टमी तिथि व महानवमी तिथि के दिन कुमारी पूजन व बटुक पूजन का विधान है। नवरात्र व्रत का पारण 26 अक्टूबर, सोमवार को किया जाएगा। इसी दिन दशमी तिथि प्रात: 9 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप विजया दशमी का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। इसी दिन अपराजिता देवी तथा शमी वृक्ष की पूजा होती है साथ ही शस्त्रों के पूजन का भी विधान है। विजया दशमी के दिन नीलकण्ठ पक्षी का दर्शन किया जाता है, उन्हें आजाद करवाया जाता है।

 

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