

बनारस रेल इंजन कारखाना ( B L W ) के नए नाम से जाना जाएगा D L W
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 30 oct
वाराणसी के डीजल रेल इंजन कारखाना का नाम बदलकर बनारस रेल इंजन कारखाना करने का आदेश पत्र जारी किया गया है। केंद्र सरकार ने डीरेका का नाम बदलकर गुरुवार से ही तत्काल नए नामकरण किए जाने का निर्देश दिया है। मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन के नाम को भी बनारस स्टेशन किया गया था। असल में इस कारखाने में अब डीजल इंजन का उत्पादन लगभग नहीं के तरह ही था यहाँ अब इलेक्ट्रिक इंजनों का निर्माण जारी है यही वजह है कि लगभग साल भर से नाम बदलने का कवायद जारी था । एक साल पहले तीन नाम भेजा गया था जिनमें दीनदयाल लोको वर्क्स, बनारस लोकोमोटिव और काशी लोकोमोटिव था।
स्थापना
डीरेका की नींव देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 23 अप्रैल 1956 में रखी थी। इसके लगभग पांच साल बाद अगस्त 1961 डीजल लोकोमोटिव वर्क्स प्रभाव में आया। जनवरी 1964 में प्रथम रेल इंजन राष्ट्र को समर्पित हुआ था। तब ये किसानों की जमीन थी। उन किसानों की जमीन लेकर उन्हें मुआवजा और नौकरी देने के साथ ही डीजल रेल इंजन कारखाना की स्थापना हुआ था।
नहीं बन रहा था डीजल इंजन
उत्पादन में प्रथम पर रहे डीरेका में साल 2016-17 से ही विद्युत रेल इंजन बनाने लगा था। वर्ष 2018-19 वो साल था जब आखिरी बार डीरेका ने भारतीय रेलवे के लिए डीजल रेल इंजन बनाया था । अब यहां पूरी तरह से विद्युत रेल इंजन बनते है। ये अलग बात है कि विदेश और देश के निजी कंपनियों के लिए कम क्षमता के डीजल रेल इंजन अभी भी बनाये जाते है।
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