प्रिय के आरोग्यता और लम्बी आयु का व्रत करवाचौथ
धर्म नगरी / 2 nov
– 4 नवम्बर को करवा चौथ का व्रत
– जानिए जन्मदिन के अनुसार आपका परिधान
हिन्दू सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करके व्रत-उपवास रखने की विशेष महत्ता है। हिन्दू धर्म में कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत रखा जाता है। करवा चौथ व्रत से विशिष्ट कामना की पूर्ति होती है। यह सुहागिन महिलाओं का अत्यधिक लोकप्रिय व्रत है। यह व्रत हर्ष, उल्लास व उमंग के साथ अपने पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है।ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार यह व्रत बुधवार, 4 नवम्बर को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि में की जाती है। कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि मंगलवार, 3 नवम्बर को अर्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 25 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन बुधवार, 4 नवम्बर को अर्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय रात्रि 7 बजकर 57 मिनट पर होगा। फलस्वरूप बुधवार, 4 नवम्बर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा।
व्रत रखने का विधान
सुहागिन व्रती महिलाएँ प्रात:काल अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने देवी-देवता की आराधना के पश्चात् अखण्ड सौभाग्य, यश-मान, प्रतिष्ठा, सुख-समृद्धि, खुशहाली एवं पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ के व्रत का संकल्प लेती हैं। यह व्रत निराहार व निराजल रहते हुए किया जाता है।
ज्योतिषविद् विमल जैन के अनुसार सौभाग्यवती महिलाएँ कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सुख-समृद्धि व अखण्ड सौभाग्य के लिए व्रत-उपवास रखकर देवाधिदेव भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान श्रीगणेश एवं श्री कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करती हैं।
पूजा का विधान
करवा चौथ से सम्बन्धित वामनपुराण में विस्तृत व्रत कथा का श्रवण करने का भी विधान है। व्रत के दिन सुहागिन महिलाएँ नव-परिधान व आभूषण धारण करके पूजा-अर्चना करती हैं। पूजा क्रम में करवा जो कि सोना, चाँदी, पीतल या मिट्टी का होना चाहिए। लोहे या अल्युमीनियम धातु का नहीं होना चाहिए। करवा में जल भरकर सौभाग्य व शृंगार की समस्त वस्तुएँ थाली में सजाकर रखी जाती है। व्रती महिलाएँ अपने पारिवारिक परम्परा व धार्मिक विधि-विधान के अनुसार रात्रि में चन्द्र उदय होने के पश्चात् चन्द्रमा को अर्घ देकर उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। तत्पश्चात् चन्द्रमा को चलनी से देखकर उनकी आरती उतारती हैं। घर-परिवार में उपस्थित सास-श्वसुर, जेठ एवं अन्य श्रेष्ठजनों को उपहार देकर उनसे आशीर्वाद लेती हैं। साथ ही सुहाग की समस्त वस्तुएँ अन्य सुहागिन महिलाओं को देकर उनका चरण स्पर्श कर खुशहाल जीवन का आशीर्वाद लेती हैं। अपने खुशहाल जीवन के लिए तथा पति-पत्नी के रिश्ते को और अधिक मधुर व प्रगाढ़ बनाने के लिए करवा चौथ का व्रत विशेष लाभदायी बतलाया गया है।
महिलाएँ राशि के अनुसार करें परिधान धारण
करवा चौथ के पर्व को और अधिक खुशनुमा बनाने के लिए राशियों के रंग के मुताबिक महिलाएँ परिधान धारण करें तो सौभाग्य में वृद्धि तो होगी ही साथ ही उनको अन्य लाभ भी मिलेगा। सामान्यत: सुनहरा, पीला और लाल रंग के परिधान धारण करना शुभ माना गया है। लाल रंग से ऊष्मा व ऊर्जा का संचार होता है, वहीं पर सुनहले व पीले रंगों से जीवन में प्रसन्नता मिलती है। आजकल राशि के अनुसार आभूषण व परिधान धारण करने का प्रचलन बढ़ रहा है। कौन-सा रंग किस राशियों के लिए लाभदायक रहेगा—मेष-लाल, गुलाबी एवं नारंगी। वृषभ-सफेद एवं क्रीम। मिथुन-हरा व फिरोजी। कर्क-सफेद व क्रीम। ङ्क्षसह-केसरिया, लाल व गुलाबी। कन्या-हरा व फिरोजी। तुला-सफेद व हल्का नीला। वृश्चिक-नारंगी, लाल व गुलाबी। धनु-पीला व सुनहरा। मकर व कुम्भ-भूरा, स्लेटी व ग्रे। मीन-पीला व सुनहरा।
जन्मतिथि व राशि के अनुसार परिधान
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक अपनी जन्मतिथि व राशि के अनुसार अपने परिधान धारण करके पूजा करना और अधिक भाग्यशाली रहता है। जिनका जन्म 1, 10, 19 या 28 को हुआ हो, उनके लिए—लाल, गुलाबी, नारंगी। 2, 11, 29 के लिए—चमकीला सफेद और क्रीम। 3, 12, 21 एवं 30 के लिए—पीला या सुनहला पीला। 4, 13, 22, 31 के लिए—चमकीला एवं मिश्रित चटकीला रंग। 5, 14, 23 के लिए—चमकीला सफेद व सफेद। 7, 16, 25 के लिए—चमकीला तथा मिश्रित रंग। 8, 17, 26 के लिए—नीला व भूरा रंग। 9, 18, 27 के लिए—लाल, गुलाबी, नारंगी।
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