कैसे होता है सम्पन्न अमेरिकी चुनाव प्रकिया की पूरी जानकारी

कैसे होता है सम्पन्न अमेरिकी चुनाव प्रकिया की पूरी जानकारी

गुरूवार के अंक ” इन्हें भी जानिये ” में
– कैसे होता है सम्पन अमेरिकी चुनाव प्रकिया , पूरी जानकारी

ऐसे होता है अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव 

लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद अमेरिका और भारत में चुनाव का तरीका बिल्कुल अलग है। अमेरिका में चुनाव की प्रक्रिया भारत से बिल्कुल अलग है। आइये जानते है अमेरिका का चुनाव प्रकिया ….

दो चरणों में होता है चुनाव
अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद के लिए वैसे तो चुनाव 8 नवंबर को होना है, लेकिन इसकी शुरुआत आयोवा कॉकस से हो चुकी है। अमेरिका में पार्टियां जनता और कार्यकर्ताओं के चुने हुए उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारती हैं।  अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दो फेज में होता है  प्राइमरी-कॉकस और फिर इलेक्शन डे।

ऐसे पूरा होता है फर्स्ट फेज
प्राइमरी चुनाव का परंपरागत तरीका है, जिसे अधिकतर राज्यों में अपनाया जाता है।  इसमें रजिस्टर्ड वोटर्स को ही वोट डालने का मौका मिलता है। ये लोग वोट डालकर पार्टी को बताते हैं कि उनकी पसंद का उम्मीदवार कौन है। कॉकस में पार्टी के पारंपरिक वोटर ही हिस्सा लेते हैं और डेलीगेट्स चुनकर भेजते हैं, जो कि उम्‍मीदवार को नॉमिनेट करते हैं। कॉकस प्रक्रिया अमेरिका के 10 राज्‍यों (आयोवा, अलास्‍का, कोलार्डो, हवाई, कन्‍सास, मैनी, नेवाडा, नॉर्थ डैकोटा, मिनीसोटा और वायोमिंग) में अपनाई जाती है।

अयोवा प्रांत से शुरूआत
राष्‍ट्रपति चुनाव आयोवा प्रांत में कॉकस प्रक्रिया से ही शुरू होती है। इसके अलावा अन्‍य 40 राज्‍यों में प्राइमरी प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसके तहत वोटर्स मतदान करते हैं और अपनी पसंद का उम्‍मीदवार चुनते हैं।

सुपर ट्यूजडे –
अमेरिका में जब भी राष्‍ट्रपति चुनाव होते हैं, तो सुपर ट्यूज डे यानी 1 मार्च को मतदान जरूर होता है। यह इसलिए भी खास है, क्‍योंकि इस दिन एक साथ कई राज्‍यों में प्राइमरी इलेक्‍शन होता है। राष्‍ट्रपति पद की उम्‍मीदवारी के लिए अपनी-अपनी पार्टियों में चुनाव लड़ने वालों के लिए यह निर्णायक दिन होता है। 2008 में 24 राज्‍यों में प्राइमरी इलेक्‍शन हुआ था। इस बार एक साथ 14 राज्‍यों में वोट डाले गए। सुपर ट्यूजडे को तय होता है कि रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्‍मीदवार कौन होगा और डेमोक्रेट्स के किस नेता पर दांव लगाएंगे।

कॉकस तय करते हैं डेलिगेट्स
डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्‍मीदवारी हासिल करने के लिए प्रत्‍याशी को 4,763 में से 2,382 का समर्थन हासिल करना होता है। इसी प्रकार से रिपब्लिकन पार्टी की उम्‍मीदवारी हासिल करने के लिए 2,472 में से 1,236 डेलिगेट्स का समर्थन हासिल करना होता है।


नेशनल कन्‍वेंशन मीटिंग जुलाई में

प्राइमरी और कॉकस समाप्‍त होने के बाद जुलाई में रिपब्लिकन पार्टी क्‍लीवलैंड में अपनी नेशनल कन्‍वेंशन की बैठक बुलाती हैं जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी फिलाडेल्फिया में।  इसी नेशनल कन्‍वेंशन में दोनों दल अपने-अपने राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार के नाम की घोषणा करती हैं।

घोषणा के बाद नामांकन
उम्‍मीदवारों के चयन के बाद 14 जून तक राष्‍ट्रपति पद के प्रत्‍याशी नामंकन दाखिल कर चुनाव प्रचार शुरू किया जाता है।

इलेक्शन डे नवंबर के पहले हफ्ते में
आम तौर पर नवंबर के पहले हफ्ते में इलेक्शन डे होता है, जिसमें जनता वोट डालती है।  अपनी-अपनी पार्टी में उम्मीदवारी की रेस जीतने के बाद दोनों प्रत्याशी इलेक्शन डे पर आमने-सामने आते हैं।
तरीका इलेक्शन डे काकॉकस जैसा इलेक्शन डे के मतदान का तरीका भी कॉकस के जैसा ही होता है। जैसे वहां डेलिगेट चुने जाते हैं ठीक वैसे ही इलेक्शन डे में इलेक्टर्स चुने जाते हैं।  इसे इलेक्टोरल कोलाज कहा जाता है, यानि ऐसा समूह, जिसे अमेरिकी जनता चुनती है और फिर वो राष्ट्रपति की जीत का ऐलान करते हैं।

538 सदस्य का इलेक्टोरल कोलाज
अमेरिकी इलेक्टोरल कोलाज में 538 इलेक्टर्स होते हैं। दरअसल, ये संख्या अमेरिका के दोनों सदनों की संख्या का जोड़ है। अमेरिकी सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स यानि प्रतिनिधि सभा और सीनेट का जोड़ है। प्रतिनिधि सभा में 435 सदस्य होते हैं, जबकि सीनेट में 100 सांसद।  इन दोनों सदनों को मिलाकर संख्या होती है 535 ।  3 सदस्य और होते है जो अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से होते है । इस तरह कुल 538 इलेक्टर्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनते हैं।

जीत की राह 
अमेरिका की जनता अपने-अपने उम्मीदवार के समर्थन वाले इलेक्टर्स के पक्ष में मतदान करती हैं। राष्‍ट्रपति की जीत के लिए 270 का जादुई आंकड़ा निर्धारित है। अमेरिकी मतदाता को बैलेट पेपर यानी मतपत्र पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के इलेक्टर्स को वोट देते हैं।

परिणाम
जनता के वोट के बाद सभी 538 इलेक्टर्स बैठेंगे और अपने अपने क्षेत्र के वोटरों के फैसले के अनुसार वे उम्‍मीदवार के पक्ष में वोट देते हैं।  जिसे भी 270 से ज्‍यादा वोट मिला वही अमेरिकी राष्‍ट्रपति होता है ।

 

पटाखों पर राजनीति क्यों वीडिओ –

आज की खबरें ,इन्हें भी पढ़िए –

जब पत्थर ने तोड़ी इंदिरा गाँधी की नाक

बनारस की सभी बड़ी खबरें फटाफट अंदाज में साथ ही बिहार की चुनावी हलचल

@ बनारस – 4 nov को बनारस की बड़ी खबरें

योगी का हंटर ,वाराणसी के उपायुक्त निलंबित

फिर विवादों के घेरे में बीएचयू अस्पताल

 

 

विशेष खबरों में –

आखिर केले का फल टेढ़ा क्यों ?

प्यार और विश्वास का पर्व करवाचौथ का शुभ मुहूर्त

मिठाई का ” एक्सपायरी डेट ” आखिर ये क्या है ?

धर्म नगरी – कार्तिक मास महत्त्व और दीप की परंपरा

 

 



 

</p

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!