
बनारस के एसटीपी संचालकगंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई पर तीन करोड़ का जुर्माना
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 10 nov
- क्या गंगा को साफ करने और रखने के लिए सरकार संजीदा है ? ये प्रश्न उस लिए उठाना लाजिमी है क्योंकि बनारस में गंगा में गिर रही मलजल को निस्तारित किये बिना ही गंगा में छोड़ दिया जा रहा है। ऐसा कहना सरकार के नुमाइंदों का ही है। बनारस के एसटीपी संचालकगंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई जिनका काम सीवर के पानी को साफ़ करने का है वो इस काम को नहीं कर रहा नहीं तभी तो इस संस्था पर तीन करोड़ का जुर्माना लगाया गया। प्रदेश में 104 एसटीपी कार्य कर रही हैं। जिनमें से 44 एसटीपी नमामि गंगे विभाग के देखरेख में संचालित हैं।
- सरकार के अविरल और निर्मल गंगा अभियान के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए नमामि गंगे विभाग ने एसटीपी संचालन में लापरवाह कार्यदायी संस्था गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना चार्ज किया है। ये कार्यवाही नमामि गंगे की टीमें प्रदेश कई शहरों में एसटीपी की जांच कर मानक और गुणवत्ता को परखने बाद पाएंगे कमियों के आधार पर किया है। प्रदेश में निजी और सरकारी क्षेत्र के एसटीपी गंगा में गिर रहे मलजल का निस्तारण करने की काम करती है ।प्रमुख सचिव नमामि गंगे के निर्देश पर प्रदेश भर में गंगा में गिर रहे मलजल की हकीहत जांचने के लिए नौ टीमें गठित किया गया था जो औचक निरीक्षण और सीवेज निस्तारण की जांच कर अपनी रिपोर्ट दिया था । पहली कार्रवाई वाराणसी के रमना एसटीपी पर हुआ। जहाँ जांच के दौरान तय मानक पर नहीं पाया गया था।सीवेज निस्तारण की गुणवत्ता के मामले में भी रमना एसटीपी फेल रहा । सीवेज निस्तारण में लापरवाही पर यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
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