सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी पर रोक

सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी पर रोक

सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी पर रोक 
इन्नोवेस्ट न्यूज़  / 30  jan

आदेश की अवहेलना करने वाले पुलिस अधिकारियों पर होगी कानूनी कार्यवाही

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस को सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न करने के कानून का पालन करने का निर्देश दिया है और मजिस्ट्रेट को भी गिरफ्तारी पर पुलिस रिपोर्ट पर संतुष्ट होने पर ही पुलिस रिमांड देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41(1)बी व 41ए की शर्तो का पालन करते हुए जरूरी होने पर ही अभियुक्त की गिरफ्तारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि अनावश्यक गिरफ्तारी की गयी तो गलती करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने की कार्यवाही की जायेगी।कोर्ट ने पुलिस को व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं सामाजिक व्यवस्था के बीच बैलेंस कायम रखने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रदेश के डी जी पी ,विधि सचिव व महानिबंधक को आदेश की प्रति व परिपत्र सभी पुलिस थानों के अनुपालनार्थ भेजने का निर्देश दिया है।यह आदेश न्यायमूर्ति डा के जे ठाकर तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने एटा के विमल कुमार व 3अन्य की याचिका पर दिया है।

क्या है मामला
कोर्ट ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है। मालूम हो कि याची की प्रियंका के साथ शादी तय हुई।रिंग सेरेमनी में साढे छः लाख दिया गया।इसके बाद क्रेटा कार की मांग पूरी करने पर शादी करने की शर्त लगायी गयी है। जिसपर कोतवाली नगर ,एटा में 28नवम्बर 20को दहेज उत्पीड़न के आरोप में एफ आई आर दर्ज करायी गयी है। और पुलिस गिरफ्तारीके लिए याची के घर पर लगातार दबिश दे रही है।याची का कहना था कि धारा 41(1)बी की शर्तो  व सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के तहत बिना ठोस कारण के सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न करने पर रोक लगी है। इसके बावजूद पुलिस एफ आई आर दर्ज होते ही कानूनी उपबंधों की अवहेलना करते हुए गिरफ्तारी करने के लिए दबिश देने लगती है।जो कानून के विपरीत है। इस धारा मे  आरोपी की हाजिरी की दो हफ्ते की नोटिस देने तथा साक्ष्य व पर्याप्त वजह होने पर ही गिरफ्तार करने का अधिकार है। सामान्यतया पुलिस सात साल से कम सजा वाले अपराध के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी नहीं कर,सकती।कोर्ट ने मजिस्ट्रेटो को भी रूटीन रिमांड न देने का निर्देश जारी किया है। और कहा है कि बिना ठोस कारण के पुलिस की अभियुक्त को गिरफ्तार करने की रिपोर्ट जिला एवं सत्र न्यायाधीश के मार्फत महानिबंधक को भेजी जाय ताकि मनमानी करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जा सके।कोर्ट ने जिलान्यायाधीश को प्रशासन के साथ मासिक बैठक मे इसकी जानकारी दी जाय।

कोर्ट ने सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की हाईकोर्ट में लगातार गिरफ्तारी पर रोक की मांग में आ रही याचिकाओं को दुखःद बताया और कहा कि गंभीर अपराधो के शिवाय बिना ठोस वजह के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न की जाय।पुलिस अभियुक्त की गिरफ्तारी की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करे और मजिस्ट्रेट संतुष्ट होने पर ही पुलिस रिमांड देने का निर्देश जारी करे।इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाय।

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