
अजय राय ने लगायी सुरक्षा की गुहार , बताया जान का खतरा
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 7 feb
वाराणसी में कांग्रेस के पूर्व विधायक और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ चुके अजय राय ने प्रेस वार्ता कर सरकार से अपने सुरक्षा की गुहार लगाई है।अजय राय ने सरकार पर कोर्ट के आदेश के बाद भी सुरक्षा मुहैया न कराये जाने का गंभीर आरोप भी लगाया है। पूर्व विधायक के अनुसार 9 फरवरी से अवधेश राय हत्या काण्ड की सुनवाई है जिसमें गवाह के रूप में कोर्ट जाना है। जिसके लिए पूर्व विधायक ने मुख्तार अंसारी से अपनी जान को खतरा बताते हुए अपने सुरक्षा की गुहार लगाई है बताते चले पूर्व में कांग्रेस के नेता के भाई अवधेश राय की ह्त्या में मुख्तार अंसारी अभियुक्त है। सीएम योगी आदित्यनाथ को अजय राय ने पत्र लिख कर हालत की जानकारी दी है। जिला प्रशासन ने अजय राय के सभी शस्त्र के लाइसेंस को रद्द कर रखा है।
अवधेश राय बनाम अजय राय
अवधेश राय ब्रजेश सिंह के करीबी थे और कोयले की ठेकेदारी करते थे। कोयले में पैसे के साथ दुश्मनी बढ़ी और उस वक्त के उभरते बाहुबली मुख्तार अंसारी से सामना हुआ। बात बढ़ी और तीन अगस्त 1991 को लहुराबीर स्थित घर के सामने ही कोयले की कमाई से निकली गोली ने अवधेश राय को मौत के नींद सुला दिया। काशी विद्यापीठ से ग्रैजुएशन कर रहे अजय राय हत्याकांड के गवाह बने और मुख़्तार को साजिशकर्ता , भाई की हत्या के ठीक एक महीने के बाद 20 अगस्त 1991 अजय राय पर वाराणसी के डिप्टी मेयर अनिल सिंह के हत्या का आरोप लगा। दो साल के बाद 1993 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रामाशीष राय और अजय राय कुसुम राय के संपर्क के कारण विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए। 1996 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो अजय राय को बीजेपी ने वाराणसी की कोलअसला सीट से टिकट मिला और जीत भी। अजय ने कोलअसला सीट को लगातार 9 बार से विधायक रहे सीपीआई के बड़े नेता रहे उदल से 484 वोटों के अंतर पर सीट कब्जा किया था। अजय राय ने 2002 और 2007, दोनों चुनाव आसानी से जीत लिए और कोलअसला सीट अजय राय के नाम से पहचानी गयी। 23 नवंबर, 2007 को जब अजय राय वाराणसी कोर्ट में गवाही के बाद बाहर आने के दौरान चलीं गोलियों से बाल बाल बचे। जिसके लिए अजय राय ने मुख्तार अंसारी, राकेश, कमलेश और भीम सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा । मुरली मनोहर जोशी के वाराणसी से उम्मीदवार बनाये जाने से अजय राय नाराज होकर पार्टी ही छोड़ दी और विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया। सपा ने उन्हें वाराणसी से उम्मीदवार बनाया साथ ही प्रतिद्वंद्वी मुख्तार अंसारी भी वाराणसी से चुनावी मैदान में उतर। चुनाव तो दोनों हारे और जीत मुरली मनोहर जोशी की रही। कोलअसला विधानसभा सीट पर उपचुनाव में लोकसभा हारने वाले अजय राय ने सपा के बजाय निर्दलीय ही विधानसभा जीता और फिर कांग्रेस के साथ हो लिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में कोलअसला का नाम बदलकर पिंडरा कर दिया गया और अजय राय ने पिंडरा से कांग्रेस के उम्मीदवार बनाये गए। अब तक ये 16 मुकदमे जिनमें हत्या की कोशिश, हिंसा भड़काने, जानलेवा हमले के अलावा गैंग्स्टर एक्ट और गुंडा एक्ट था के मालिक थे। ये अब बाहुबली थे फिर भी ये जीते। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अजय राय ने बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ उम्मीदवार घोषित किया। बाद में मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल ने अजय राय को समर्थन कर सभी को चौंका दिया। मुख्तार के समर्थन के बाद भी अजय राय को पराजय मिला। इस चुनाव में अजय राय तीसरे नंबर पर और दूसरे नंबर पर अरविंद केजरीवाल थे। रही सही कसर 22 सितंबर, 2015 को बनारस में गणेश प्रतिमा विसर्जन बवाल पर हुआ। 5 अक्टूबर को अन्याय प्रतिकार यात्रामें हुए बवाल में पुलिस पर पत्थरबाजी और पुलिस के लाठीचार्जके बाद 100 लोगों पर केस दर्ज कर अजय राय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। आरोप था भीड़ को उकसाने और हिंसा में शामिल होने का साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत करीब 9 महीने का जेल। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अजय राय पर लगा रासुका हटा लिया और तब वो रिहा हुए। 2019 में अजय राय एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकते हुए मैदान में थे और अपना जमानत जब्त करा लिया था।
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