मौनी अमावस्या – सनातनधर्मियों ने मौन हो कर लगाया गंगा में डुबकी

मौनी अमावस्या – सनातनधर्मियों ने मौन हो कर लगाया गंगा में डुबकी


 

घाटों पर भक्तों ने मौन हो कर लगाया गंगा में डुबकी
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 11 feb

भुत भावन भगवान शिव और मर्यादा के शीर्ष श्री राम के मिलन का दिन मौनी अमावस्या को सनातन धर्मी पवित्र सरोवर में बिना बात किये स्नान करते है , मान्यताओ के अनुसार आज के स्नान से मनुष्य के समस्त मनोकामना की पूर्ति होती है भक्त स्नान करने के बाद देव स्थानों में दर्शन करने के पूर्व दान और भजन करते है , बनारस के दशाश्मेध और शीतला घाट से स्नार्थियो की भारी भीड़ रही सूर्योदय के पूर्व ही भक्तो ने गंगा की पवित्र धारा में ड़ूबकियां लगा पुन्य की कामना करते नजर आये ।

माघ के पांच स्नानों में प्रमुख पुण्य पर्व मौनी अमावस्या आज है। यह अनूठा संयोग तब बनता है जब चंद्रमा और सूर्य दोनों ही मकर राशि में एक साथ होते है । इस बेला में गंगा स्नान के लिए कल शाम से ही श्रद्धालुओं की जुटान शुरू हो गई थी। दूर दराज से आये श्रद्धालूू पूण्यकाल शुरू होने के साथ ही गंगधार में डुबकी लगाने के साथ ही दान और पितरों का श्राद्ध आदि और दर्शन पूजन किया ।

तुलसीदास ने राम चरित मानस में माघ माह के महात्म्य का वर्णन करते हुए लिखा –
‘माघ मकर गत रवि जब होई, तीरथ पतिहि आव सब कोई। एही प्रकार भरि माघ नहाई, पुनि सब निज निज आश्रम जाई।’

अनादि काल से ही चली आ रही परंपरा के तहत लोग काशी के दशाश्वमेध, प्रयाग और गंगा सागर में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इससे 10 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। मौनी अमावस्या पर प्रात: शैय्या त्यागने के बाद मौन रह कर नित्य कर्म और गंगा स्नान करना चाहिए। सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही श्रीहरि की आराधना करनी चाहिए। स्नान के बाद कंबल, तिल, चावल, गरम वस्त्र, सोना-चांदी, जूता-छाता, घोड़ा-गाय आदि के यथा शक्ति दान का विधान है। पितरों के निमित्त श्रद्धादि और पुरोहितों को भोजनादि कराना चाहिए।इससे जन्म जन्मांतर के पापों का क्षय, शुभ -समृद्धि, ऐश्वर्य, कांति और 10 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है ।

 

 

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