
विद्या-बुद्धि ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती जी की पूजा-अर्चना है कल्याणकारी
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 13 feb
– वसन्त पंचमी : 16 फरवरी, मंगलवार को
– सरस्वती पूजा-अर्चना से अभीष्ट की प्राप्ति
– विद्या-बुद्धि ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती जी की पूजा-अर्चना है कल्याणकारी
भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्मशास्त्रों में माँ सरस्वती देवी की महिमा अपरम्पार है। बसन्त पंचमी के दिन माँ सरस्वती देवी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इस वर्ष 16 फरवरी, मंगलवार को बसन्त पंचमी का पर्व हर्ष, उमंग, उल्ïलास के साथ मनाया जाएगा। माघ शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि ‘बसन्त पंचमी के रूप में मनायी जाती है, इसे ‘श्री पंचमी’ भी कहते हैं।
तिथि मान –
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया किमाघ शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि 15 फरवरी, सोमवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात 3 बजकर 38 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन 16 फरवरी, मंगलवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। 16 फरवरी, मंगलवार को सम्पूर्ण दिन पंचमी तिथि का मान रहेगा। भगवती सरस्वती को विद्या, बुद्धि ज्ञान-विज्ञान की अधिष्ठात्री देवी के रूप में मान्यता प्राप्त है। आज के दिन भगवान् श्रीगणेशजी, श्रीविष्णुजी एवं माँ भगवती सरस्वती जी की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करके मनोरथ पूर्ण की कामना करते हैं।
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धार्मिक व पौराणिक मान्यता –
भगवान् श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था। इस दिन व्रत-उपवास करके माँ सरस्वती जी को विभिन्न प्रकार के पुष्पों से सुसज्जित तथा पीले रंग के पोशाक व आभूषणों से शृंगार करके पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही पीले रंग के नैवेद्य, ऋतुफल एवं मेवे सहित केसरिया पीले रंग के मीठे चावल भी अॢपत किए जाते हैं। भगवती सरस्वती जी की अनुकम्पा प्राप्ति के लिए उनकी महिमा में सरस्वती जी के विविध स्तोत्र आदि का पठन व मंत्र आदि का जाप करने की परम्परा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन ‘रति-काम महोत्सव’ भी मनाने की परम्परा है।
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पूजा की विधि –
व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के पश्चात् माँ सरस्वती के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। विद्वानों और विद्यार्थियों के लिए आज का दिन खास होता है। उन्हें व्रत उपवास रखकर माता सरस्वती जी की पूर्ण आस्था श्रद्धा व विश्वास के साथ विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करके अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि करना चाहिए। हिन्दू धर्म के मुताबिक समस्त धार्मिक व मांगलिक कृत्य भी आज विशेष तौर से सम्पन्न होते हैं। नव प्रतिष्ठान व व्यापार के प्रारम्भ हेतु आज का दिन सर्वोत्तम माना गया है। घर परिवार के अतिरिक्त मंदिरों व सार्वजनिक स्थलों पर माँ सरस्वती जी की मूर्ति स्थापित करके विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करने की धार्मिक परम्परा है। होलिका की स्थापना भी बसन्त पंचमी के दिन किया जाता है साथ ही उनके गीतों का गायन भी होता है। बसन्त पंचमी से मौसम में परिवर्तन के साथ ही ‘वसन्त ऋतु’ का आगमन भी हो जाता है।
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