धर्म नगरी / इन्नोवेस्ट / 25 sep
– ख़ास बातें इस मास की …
– क्या कार्यों करें …
– क्या न करें …
पुरुषोत्तम मास , मलमास और अधिमास हर 32 महीने, 16 दिन और 4 घटी के अन्तर से आता है। साथ ही इस महीने में सूर्य की संक्रान्ति नहीं होती है। इसे मलिम्लुच मास के नाम से भी जाना जाता है। 12 महीनों में वरुण, सूर्य, भानु, तपन, चण्ड, रवि, गभस्ति, अर्यमा, हिरण्यरेता, दिवाकर, मित्र और विष्णु 12 मित्र होते हैं और अधिमास इनसे अलग होता है। यही कारण है कि इसे मलिम्लुच मास कहते हैं। ये मास अलग अलग महीने में लगता है जो इस वर्ष आश्विन मास लगा है। जो 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक जारी रहेगा । यह अधिमास 30 दिन का है। इन दिनों को लेकर लोगों के मन में भ्रम रहता है कि इन दिनों क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अधिमास में ऐसे काम जो फल प्राप्ति की कामना से किए जाएं वो वर्जित होते हैं। अगर फल की आशा के बिना कोई काम किया जाता है तो वो इस मास में कर सकते हैं।
ये है ख़ास बातें इस मास की –
पुरुषोत्तम मास 16 अक्टूबर तक रहेगा, इस माह में 14 दिन शुभ योग रहेंगे। जिसमें 9 सर्वार्थसिद्धि योग, 2 दिन द्विपुष्कर योग, 1 दिन अमृतसिद्धि योग एवं 1 दिन रवि पुष्य नक्षत्र रहेगा। अधिकमास को अधिमास, मलमास और पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। अधिकमास की वजह से ऋतु और त्योहारों के बीच तालमेल बना रहता है। हिन्दू धर्म में त्योहारों की व्यवस्था भी ऋतुओं के आधार पर ही बनाई गई है। सावन माह वर्षा ऋतु में आता है, दीपावली शीत ऋतु की शुरुआत में आती है, मकर संक्रांति शीत ऋतु के अंतिम दिनों में आती है। ऋतुओं के संधिकाल में एक वर्ष में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है। अधिकमास की वजह से जो त्योहार जिस ऋतु में आना चाहिए, वह उसी ऋतु में आता है।
इन कार्यों को करें –
इस माह में विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होते हैं लेकिन, विवाह की तारीख तय की जा सकती है। नवीन गृह में प्रवेश करने के मुहूर्त भी नहीं रहते हैं लेकिन, घर की बुकिंग की जा सकती है। घर के लिए जरूरी सामान खरीदे जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण, इलेक्ट्रानिक्स जैसी जरूरी चीजें भी इस माह में खरीद सकते हैं। इन दिनों नए कपड़े खरीदना और पहनना, आभूषण क्रय विक्रय , फ्लैट, मकान, टी. वी, फ्रीज, कूलर, ए.सी., नया वाहन और नित्य उपयोग की वस्तुओं को खरीदे जा सकते है।
इन कार्यों को न करें –
कुएँ, बावली, तालाब, और बाग की शरुआत , किसी भी प्रयोजन के व्रतों का आरंभ और उद्यापन, नवविवाहिता वधू का प्रवेश, पृथ्वी, हिरण्य और तुला आदि के महादान, सोमयज्ञ और अष्टका श्राद्ध, गौका यथोचित दान, आग्रयण, उपाकर्म, वेदव्रत, अकिपन्न, देवप्रतिष्ठा, मंत्र दीक्षा, यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह मुण्डन, पहले कभी न देखे हुए देव तीर्थों दर्शन , संन्यास, अग्निपरिग्रह, अभिषेक, प्रथम यात्रा, चातुर्मासीय व्रतों का प्रथमारम्भ, कर्णवेध जैसे कार्य अधिमास में वर्जित होते है।
– ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र