
धनेसरा तालाब पर चलाया स्वच्छता अभियान किया संरक्षण का अपील
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 3 feb
विश्व वेटलैंड दिवस पर पीलीकोठी स्थित धन-धानेश्वर तालाब के संरक्षण की अपील करते हुए नमामि गंगे टीम ने तालाब के किनारे पड़ी प्रदूषित कर रही अनेकों वस्तुओं को सफाई कर कूड़ेदान तक पहुंचाया । तालाब की भीषण दुर्गंध व सड़ांध के बीच आसपास के लोगों से स्वच्छता बनाए रखने की अपील की गई । धन कुबेर द्वारा निर्मित पौराणिक तालाब के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई । तालाब के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण हेतु आवश्यक सभी कदम उठाने की मांग की । आयोजन में प्रमुख रूप से काशी प्रांत के संयोजक राजेश शुक्ला, महानगर सहसंयोजक शिवम अग्रहरी, रामप्रकाश जायसवाल, सीमा चौधरी, केवल कुशवाहा, पुष्पलता वर्मा, रितेश कुशवाहा , सत्यम जायसवाल, सुल्तान अहमद, मोहम्मद मुर्तजा आदि उपस्थित रहे ।
तालाब का पौराणिक महत्त्व
स्कंदपुराण में वर्णित पौराणिक धन-धानेश्वर कुंड (धनेसरा तालाब) को कुबेर ने बनाया था ,जहां स्नान करने से मनुष्य को दरिद्रता से मुक्ति मिलती थी । द्वापर युग में यहां कुबेर ने तपस्या से शिव को प्रसन्न किया था।जैतपुरा थानातंर्गत पीलीकोठी इलाके में स्थित इस कुंड के पास धनेसरा मठ में धन धनेश्वर महादेव का मंदिर है। धन कुबेर की तपस्या के निमित्त उन्होंने स्वयं तालाब का निर्माण किया था। धन कुबेर को ही धन-धानेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है। कभी यहां धनतेरस के दिन बहुत बड़ा मेला लगता था। श्रद्धालु कुंड में स्नान कर धन-धानेश्वर महादेव का दर्शन पूजन करते थे लेकिन यह अब अतीत की बात हो चुकी हैं।कुंड पर आयोजित होने वाले पर्व अब अतीत का हिस्सा बन गया है।
इसे कहते है सरकारी दावों पर पलीता
तालाब आराजी नंबर 4731 रकबा चार एकड़ 37 डिसमिल तालाब पर भूमि पर है ,जो पूरी तरह से अवैध कब्जा के जद में है। धनेसरा तालाब के तीन छोर पर मकान बन चुके हैं बाकी एक तरफ को पटिया कारोबारियों ने घेर रखा है। पत्थरों के टुकड़ों से तालाब को पाटा जा चूका है।सरकार कुंड, तालाब और पोखरों का जीणोद्धार करा रही है लेकिन ये पूरा सच यह नहीं हैं। अतिक्रमण का जाल कुछ यूँ बुना है कि बड़े भ्रष्टाचार भी इनके सामने छोटे दिखेंगे । अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से तालाब और कुंडों पर पूरी तरह अतिक्रमण है।
यहाँ पांच दिन होता है रामलीला
तुलसी के दौर की गवाह लाटभैरव की पौने पांच सौ साल पुरानी रामलीला स्थल के रूप में इस तालाब की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस कुंड पर पांच दिनी रामलीला भी होती है। श्रीराम घंडइल पार लीला का मंचन इसी तालाब में होता है। साल 2018 में रामलीला मंचन के दौरान पात्र राम को तालाब की दुर्गंध ने हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। इस बार तालाब की दुर्गंध रोकने के लिए केमिकल डालकर किसी तरह रामलीला का मंचन पूर्ण कराया गया।
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