@बनारस – आज की ख़ास जानकारियां

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इस अंक में – राम मंदिर पर विवाद पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती , वाराणसी विकास प्राधिकरण के कारनामें  , प्रदोष व्रत  – करिये शिव को प्रसन्न , नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन ‘ऑनलाइन’ , राजभाषा कार्यान्वयन समिति की आभासी बैठक

कोरोना महामारी के समय उत्सव मनवाना कहाँ तक उचित  -स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
@बनारस  / इन्नोवेस्ट / २९ जुलाई 

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट एक तो देवशयन के समय में बिना मुहूर्त के ही मन्दिर का निर्माण आरम्भ करा रहा और दूसरी ओर कोरोना महामारी से पीड़ित देश से हर्ष प्रदर्शित करने हेतु दीपोत्सव मनाने का सरकार भी आदेश जारी कर रही। वर्तमान समय में कोरोना का संक्रमण पूरे देश में हावी है। लोग विपत्ति में हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री व उनके समर्थक एक ओर देवशयन की स्थिति में राम मंदिर के निर्माण कार्य का आरम्भ करने जा रहे हैं और जनता से अपील कर रहे हैं कि पूरे देशवासी उस दिन दीप जलाएं और हर्ष मनाएं। इस समय हमारे प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह स्वयं कोरोना से ग्रस्त हैं। जब प्रतिदिन पीड़ितों के आंकड़ों में वृद्धि हो रही है तो बजाय स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लोगों से उत्सव मनाने की अपील करना उचित नहीं है।

उक्त बातें ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मध्य प्रदेश के परमहंगी गंगा आश्रम में अपने चातुर्मास्य स्थल श्रीत्रिपुरालयम् से कही। आगे कहा कि भगवान् श्रीराम का मंदिर बनाए जाने से हमें कोई आपत्ति नहीं है, परन्तु भगवान् की जन्मस्थली में गर्भगृह के आग्नेय कोण में भगवान् के  बालरूप की स्थापना की जानी चाहिए। शास्त्रोक्त विधि-विधान से इसका निर्माण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी क्या मुसीबत आ गई कि जब पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, लोग मरते जा रहे हैं और धार्मिक दृष्टि से भी देवशयन होने से कोई शुभ मुहूर्त नहीं है तो ऐसे में सरकार असली समस्या से लोगों का ध्यान भटकाते हुए अशास्त्रीय रीति से शिलान्यास करने जा रही हैं। यह कार्य तो देवोत्थान एकादशी के उपरान्त उचित मुहूर्त देखकर भी हो सकता है।

राजधर्म निभाएं और सबसे पहले कोरोना से मुक्ति दिलवाएं 
कोरोना से पीडित जनता के स्वास्थ्य की चिन्ता करते हुए पूज्य शंकराचार्य ने कहा कि इस समय सरकार का एक ही कर्तव्य है कि वह देश को कोरोना महामारी के संकट से मुक्ति दिलवाएं। हर शहर, हर गांव में इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करवाएं। कोरोना संक्रमण से निजात पाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करें। इस अति आवश्यक कार्य को न कर वे मन्दिर की बातों से लोगों का ध्यान न भटकाएं।  साथ ही कहा कि जिस घर में कोरोना से कोई भी व्यक्ति संक्रमित होगा या मरा होगा वह कैसे दीप जलाकर हर्ष मनाएगा ? अतः सबसे पहले कोरोना भगाएं, फिर शुभ मुहूर्त में मन्दिर बनवाएँ तो उसके बाद पूरा देश दीप भी जलाएगा और हर्ष भी मनाएगा।

वाराणसी विकास प्राधिकरण के कारनामें , दुरी चार सौ लिखा दो सौ  
@बनारस  / इन्नोवेस्ट / २९ जुलाई  
 
वाराणसी विकास प्राधिकरण का गठन इसलिए हुआ था कि वह नगर का समायोजित विकास का मापदंड बनाकर शहर का सुनियोजित विकास करे।  लेकिन विकास प्राधिकरण इन दिनों इसके विपरित कार्य करने में लगा हुआ है।  इसका अपना कोई मापदंड नहीं है यह हाईकोर्ट के डंडा मारने पर जगती है और बिना कुछ सोच-समझे आनन-फानन में उल्टा सीधा क्रियान्वयन करके उसका रिपोर्ट कोर्ट को भेज देती है।  कुछ ऐसा ही कार्य इस समय वीडीए द्वारा नगर में कराया जा रहा है।  इन दिनों नगर में वीडीए द्वारा गंगा के दो सौ मीटर की नापी कराकर वहां पर पत्थर गाड़ा जा रहा है ताकि जनता को गंगा के दो सौ मीटर की परिधि पता हो और वह उसके तहत आने वाले नियमो की जानकारी प्राप्त कर उसका पालन करे।

चार सौ मीटर पर गड़ा दो सौ मीटर का पत्थर
वीडीए द्वारा अस्सी जगन्नाथ मंदिर गली होते हुए नगवां जाने वाले मार्ग पर वाचपेयी मंदिर के पास स्थित योगाश्रम व भागवत विद्यालय जाने वाली गली में दो सौ मीटर का पत्थर दो दिन पूर्व गाड़ा गया है।  वीडीए द्वारा गाड़े गये पत्थर पर लिखा है कि गंगा नदी से दो सौ मीटर यानि की जिस जगह पर यह पत्थर गड़ा है वहां से गंगा दो सौ मीटर पर है लेकिन यहां के क्षेत्रीय नागरिको का कहना है कि गंगा यहां से चार सौ मीटर से अधिक दूरी पर है। 

जनता ने वीडीए पर लगाया शोषण करने का आरोप
वीडीए द्वारा गाड़े गये पत्थर को लेकर अस्सी नगवां क्षेत्र की जनता काफी आक्रोशित है।  क्षेत्रीय नागरिको का कहना है कि वीडीए बिना किसी मापदंड या नापी के यह पत्थर गाड़ी है।  इसका एक मात्र उद्देश्य जनता का दोहन करना है। वीडीए यह सब जानबूझकर कर रही है। जब यहां पर दो सौ मीटर है ही नहीं तो पत्थर गाड़ने का मतलब क्या है। नगर के कुंडो-तालाबो के सरंक्षण के लिए संघर्षरत समाजसेवी व जागृति फाउण्डेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने कहा वीडीए द्वारा गंगा से दो सौ मीटर की सीमा तय करने के लिए गाड़े जा रहे पत्थर पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि वीडीए का यह मनमाना रवैया है।  आज तक वीडीए दो सौ मीटर का सीमांकन ही नहीं कर पायी।  उसके लिए रोज नियम बदलते रहते है।  वीडीए हाईकोर्ट में दायर किये गये पीआईएल के दबाव में कभी किसी जगह तो कभी किसी जगह पर दो सौ मीटर का निर्धारण करती है।  वीडीए आज तक यह तय नहीं कर पाया है कि दो सौ मीटर का दायरा कहां है।

जिम्मेदार अधिकारी का बयान
वीडीए के सचिव का कहना है कि कौटिल्य सोसाइटी द्वारा हाईकोर्ट में डाले गये गये पीआईएल के तहत वीडीए द्वारा गंगा नदी से दो सौ मीटर पर पत्थर गाड़ने का कार्य चल रहा है। इसी के तहत यह पत्थर अस्सी व नगवां मुहल्ले में गाड़े जा रहे है।  अगर गलती से यह पत्थर दो सौ मीटर के दायरे से बाहर लग गये है तो उसकी नापी कराकर उसे सही जगह पर गड़वा दिया जायेगा। 

 प्रदोष व्रत  – करिये शिव को प्रसन्न
@बनारस  / इन्नोवेस्ट / २९ जुलाई   

  देवाधिदेव भगवान   शिवजी की महिमा अपरम्पार है। भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है। कलियुग में भगवान शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत अत्यन्त चमत्कारी माना गया है। प्रदोष व्रत से दु:ख-दारिद्र्य का नाश होता है। जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली आती है, जीवन के समस्त दोषों के शमन के साथ ही सुख-समृद्धि का सुयोग बनता है। सूर्यास्त और रात्रि के सन्धिकाल को प्रदोषकाल माना जाता है। ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि प्रदोष बेला होने पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार यह व्रत 1 अगस्त, शनिवार को रखा जाएगा। श्रावण शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 जुलाई, शुक्रवार की रात्रि 10 बजकर 43 मिनट पर लगेगी जो कि 1 अगस्त, शनिवार की रात्रि 9 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। प्रदोष बेला में त्रयोदशी तिथि का मान 1 अगस्त, शनिवार को होने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा। प्रदोष बेला की अवधि दो या तीन घटी मानी गई है, एक घटी 24 मिनट की होती है। इसी अवधि में भगवान् शिवजी की पूजा प्रारम्भ करनी चाहिए। व्रत वाले दिन व्रतकर्ता को सम्पूर्ण दिन निराहार व निराजल रहना चाहिए। सायंकाल सूर्यास्त के पूर्व पुन: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रदोष बेला में भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

  ऐसे करें प्रदोष व्रत— व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान व पूजा-अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुन: स्नान कर स्वच्छ व धारण करके प्रदोषकाल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिवजी का अभिषेक कर शृंगार करने के पश्चात् उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अॢपत करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। परम्परा के अनुसार कहीं-कहीं पर जगतजननी पार्वतीजी की भी पूजा-अर्चना की जाती है। यथासम्भव स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही पूजा करनी चाहिए। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलदायी होती है। भगवान् शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वॢणत प्रदोष व्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए। व्रत से सम्बन्धित कथाएँ सुननी चाहिए जिससे मनोरथ की पूॢत का सुयोग बनता है। यह प्रदोष व्रत समस्त जनों के लिए मान्य है। व्रतकर्ता को दिन के समय शयन नहीं करना चाहिए। व्रत के दिन अपने परिवार के अतिरिक्त कहीं कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को संयमित रखते हुए व्रत करके लाभान्वित होना चाहिए। जिन्हें शनिग्रह अढ़ैया या साढ़ेसाती का प्रभाव हो या जिनकी जन्मकुण्डली में शनिग्रह प्रतिकूल हों, उन्हें देवाधिदेव महादेव शिवजी की कृपा प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए, जिससे शनिजनित दोषों का शमन हो सके। अपनी सामथ्र्य के अनुसार ब्राह्मण एवं असहायों की सेवा व सहायता करते रहना चाहिए। श्रद्धा-भक्तिभाव के साथ किए गए प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली तो मिलती ही है साथ ही शिवजी की कृपा से समस्त मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती हैं। 

  नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन ‘ऑनलाइन’ होगा  
@बनारस  / इन्नोवेस्ट / २९ जुलाई 
 

‘सेक्युलर’ पक्षों की सत्तावाले राज्यों में ‘सीएए’ कानून लागू न करने का निर्णय लेना और हिन्दू बहुसंख्यक भारत में पीडित हिन्दुओं को न्याय न मिल पाना, यह मानवता के साथ-साथ लोकतंत्र की भी पराजय है । वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ‘2061 में भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक होंगे’, ऐसी स्थिति है । इन सर्व पार्श्‍वभूमि पर हिन्दुओं को उनका न्याय का अधिकार मिलने के लिए भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करना चाहिए, इस प्रमुख मांग के लिए ‘नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’का आयोजन किया गया था, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने ‘नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’की जानकारी देने के लिए आयोजित ऑनलाइन पत्रकार परिषद में कहा । अधिवेशन के विषय में अधिक जानकारी देते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे बोले, ‘गत 8 वर्षों से गोवा में हो रहे इन अधिवेशनों को बहुत अच्छा प्रतिसाद मिला; परंतु ‘कोविड-19’ आपत्ति के कारण अब यह अधिवेशन ऑनलाइन लेना पड रहा है । अयोध्या में राममंदिर के भूमिपूजन के लिए कुछ ‘सेक्युलर’वादी बाधाएं निर्माण कर रहे हैं । इसके विपरीत पाकिस्तान में ऐसी स्थिति है कि वहां एक मंदिर निर्माण करना भी संभव नहीं । वहां के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में मंदिरों के लिए कोई स्थान नहीं है । हिन्दू बहुसंख्यक भारत में मस्जिदों की संख्या बढती ही जा रही है । इसलिए अब तो भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने की नितांत आवश्यकता है । हिन्दू संगठन और संप्रदायों द्वारा राष्ट्रहित और धर्महित के लिए योगदान देना, इसके साथ ही समान कार्य योजना बनाना और हिन्दूहित के प्रस्ताव पारित करना, यह ‘ऑनलाइन’ अधिवेशन का स्वरूप होगा ।’’

  नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की आभासी बैठक सम्‍पन्‍न 
@बनारस  / इन्नोवेस्ट / २९ जुलाई   

डीजल रेल इंजन कारखाना राजभाषा विभाग द्वारा गूगल मीट के माध्‍यम से आज आयोजित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) की छमाही आभासी बैठक में  महाप्रबंधक, डीरेका एवं अध्यक्ष ने में कहा कि वर्तमान परिदृश्‍य के चुनौतियां चर्चा की  साथ ही दोहराया कि इस विषम परिस्थिति में भी हमें अपने कार्य की गुणवत्‍ता एवं गति को बनाए रखने के साथ ही राष्‍ट्र के विकास में अपनी पूरी क्षमता उपयोग करना है । ऐसी परिस्थिति में ऑनलाइन माध्‍यम हमारे लिए वरदान साबित हो रहा है । सभी सदस्‍य कार्यालयों से गृह मंत्रालय (राजभाषा विभाग) के नये दिशानिर्देश एवं परामर्श को आत्‍मसात करते हुए ऑनलाइन माध्‍यमों से बैठकों, कार्यशालाओं, तकनीकी विचार गोष्ठियों एवं साहित्‍यकारों की जयंतियों का नियमित आयोजन तथा अपने- अपने संगठनों से ई-पत्रिका के प्रकाशन पर जोर देने को बात कही  । आभासी बैठक में प्रेवक्षक के रूप में अजय मलिक ने नराकास के सदस्‍य कार्यालयों द्वारा प्रस्‍तुत प्रगति रपट पर चर्चा करते हुए कहा की सरकारी कार्यों में शत-प्रतिशत हिन्‍दी के प्रयोग सुनिश्चित करें और कम्‍प्‍यूटर में यूनिकोड के माध्‍यम से हम निश्चित रूप से हिन्‍दी में सूचनाओं का आदान-प्रदान कर देश की प्र‍गति में योगदान दे सकते हैं । आभासी बैठक का संचालन करते हुए समिति के वरिष्‍ठ राजभाषा अधिकारी ने समिति की पिछली बैठक की कार्यवाही की पुष्टि के उपरान्त विभिन्न कार्यालयों से प्राप्त हिन्दी की प्रगति संबंधित रपट पर चर्चा की ।

लोक कथाओं और लोकगीतों के माध्यम से कोरोना रोकथाम 
@बनारस  / इन्नोवेस्ट / २९ जुलाई    

काशी हिंदू विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में “आत्मनिर्भर भारत: जागे युवा -जागे भारत” कार्यक्रम  श्रृंखला में एक भारत श्रेष्ठ भारत  अभियान के तहत आठवां ऑनलाइन राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन में युवा कलाकारों के लोकगीतों के माध्यम से कोरोना जागरूकता और वृक्षारोपण के संदेशों के प्रचार प्रसार के संकल्प के साथ  संपन्न हुआ। राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन का उद्घाटन भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के  राष्ट्रीय कार्यक्रम सलाहकार डॉ सतीश कुमार साहनी  ने किया । अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि  युवाओं को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से प्रारंभ यह कार्यक्रम एक समृद्ध और अखंड भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है । उन्होंने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम से युवाओं में राष्ट्रीय गौरव की चेतना प्रस्फुटित हो रही है। विशिष्ट अतिथि के  रूप  काशी हिंदू विश्वविद्यालय महिला महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या डॉचंद्रकला त्रिपाठी ने  कहा कि भारत में लोकगीतों और लोक साहित्य की एक समृद्ध परंपरा है जिससे जुड़कर युवा अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता और अपने पूर्वजों के व्यवहारिक ज्ञान को जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के प्रत्येक प्रदेश में लोकगीतों और लोक कथाओं में प्रकृति, वृक्ष, नदियां, पहाड़ और लोकजीवन प्रमुखता के साथ वर्णित हुआ है । हमें लोकगीतों और लोक कथाओं के साथ-साथ लोक भाषाओं के संरक्षण पर भी कार्य करना चाहिए ।राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन  समारोह  की अध्यक्षता  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रख्यात शिक्षाविद साहित्यकार डॉ जॉनी फास्टर ने की।  शुभारंभ  इंदौर की युवा कलाकार अनुभा कलाकोतर के शास्त्रीय गायन से हुआ। दूसरी प्रस्तुति के रूप में  तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय की युवा कलाकार डॉक्टर अनन्या बोन ज्योत्सना ने आसाम के  लोक जन जीवन पर आधारित  लोकगीतों की  प्रस्तुति की।राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के नोडल अधिकारी  प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, पटना विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की अधिकारी डॉ पूनम सिंह, झारखंड विश्वविद्यालय से डॉ रंजीत कुमार सिंह, कार्यक्रम अधिकारी डॉ एकता चौहान, डॉ सच्चिदानंद त्रिपाठी, डॉ दुर्लभ सोनोवाल , डॉ रश्मि सक्सैना सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने सहभागिता की।

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