
जानिए भगवान गणेश को क्यों कहा जाता है गणपति, क्या है जन्म की कथा
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 31 jan
आज रविवार को पिता के नगरी में पुत्र की पूजा की जा रही है , आज के दिन को मातायें अपनी संतान की खुशहाली के लिए व्रत रहने के साथ ही गजानन के विग्रहो की का विधिपूर्वक पूजन अर्चन करते है , गणेश मंदिरों में आज भक्तो की भारी भीड़ रही महिलाओ ने भगवान लम्बोदर का न केवल पूजन किया बल्कि अपने संतान सहित परिवार के खुशहाली की कामना की।
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा पाठ या शुभ काम भगवान गणेश की पूजा के और आरती उतारे बिना शुरू नहीं की जाती । शास्त्रों में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है. बुधवार के दिन गणपति की पूजा और उपासना करने से सुख समृद्धी बढ़ती है और बुद्ध दोष भी दूर होता है ।
भगवान गणेश की जन्म कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नंदी से माता पार्वती की किसी आज्ञा के पालन में ऋुटि हो गई ।जिसके बाद माता से सोचा कि कुछ ऐसा बनाना चाहिए, जो केवल उनकी आज्ञा का पालन करें । ऐसे में उन्होंने अपने उबटन से एक बालक की आकृति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए । कहते हैं कि जब माता पार्वती स्नान कर रही थीं तो उन्होंने बालक को बाहर पहरा देने के लिए कहा था । माता पार्वती ने बालक को आदेश दिया था कि उनकी इजाजत के बिना किसी को अंदर नहीं आने दिया जाए । कहते हैं कि भगवान शिव के गण आए तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद स्वयं भगवान शिव आए तो बालक ने उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया । इस बात से भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया । माता पार्वती जब बाहर आईं तो वह यह सब देखकर क्रोधित हुईं । उन्होंने उनके बालक को जीवित करने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने एक हाथी का सिर बालक के धड़ से जोड़ दिया ।
श्रीगणेश को क्यों कहाके जाता है गणपति
कहा जाता है कि बालक को सभी देवताओं ने कई वरदान दिए । सभी गणों का स्वामी होने के कारण भगवान गणेश को गणपति कहा जाता है ।कि गज (हाथी) का सिर होने के कारण इन्हें गजानन कहते हैं ।
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