भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपए के नोट को चलन से बाहर कर दिया है। हालांकि यह पहली बार या दूसरी बार नहीं है, जब करेंसी को चलन से बाहर कर दिया हो। इससे पहले 5 हजार और 10 हजार के नोट को भी बंद किया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए देश की सबसे बड़ी करेंसी 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया। हालांकि 2 हजार का नोट लीगल टेंडर में बना रहेगा। लेकिन चलेगा नहीं ऐसे में जिनके पास भी 2 हजार के नोट हैं, वो 30 सितंबर तक बैंक में जाकर बदल सकते हैं। वैसे ऐसा पहली बार नहीं है, जब किसी नोट को चलन से बाहर किया गया है।
शुक्रवार को आरबीआई ने बताया कि 2000 रुपए का नोट 30 सितंबर के बाद भी लीगल टेंडर रहेगा। RBI ने उम्मीद जताई है कि लोगों को अपने नोटों को बैंकों में बदलने के लिए 4 महीने का समय पर्याप्त है। इसी के साथ RBI ने लोगों से नहीं घबराने की जरूरत अपील की है। 2018-19 में 2000 रुपए के नोट की छपाई बंद हो गई थी, जिसे अब चलन से बाहर करने का फैसला किया है।
2000 रुपए का साल 2016 में 1000 रुपए और 500 रुपए के नोट को बंद करने के बाद जारी किया गया था। हालांकि ना यह पहली बार या और ना ही दूसरी बार की किसी नोट को चलन से बाहर कर दिया गया हो। इससे पहले भी नोटों को चलन से हटाया जा चुका है। आरबीआई का यह फैसला देश की जनता के लिए नया नहीं है। पिछले 76 वर्षों में केंद्रीय बैंक ने कई दफा करेंसी नोटों की नोटबंदी या फिर वापस लिया है।
आजादी से पहले भी नोटबंदी
भारत में पहली बार आजादी से पहले 1946 में नोटबंदी का फैसला किया गया था। उस वक्त 12 जनवरी 1946 को गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने ब्रिटिश काल में जारी 500, 1000 ऍर 10 हजार के नोट को बंद कर दिया था। यानी कि 100 रुपए से ऊपर के सभी नोटों को अवैध कर दिया था। हालांकि साल 1954 में 1000 और 5000 रुपये के नोट छापे गए थे।
मोरारजी देसाई सरकार में नोटबंदी
जनता पार्टी की नेतृत्व वाली मोरारजी देसाई सरकार ने साल 1978 में नोटबंदी का फैसला लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस सरकार ने 1000 रुपए, 5000 रुपए और 10 हजार रुपए के नोट बंद किए थे।
पीएम मोदी की नोटबंदी
8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 रुपए और 1,000 रुपए के नोटों की नोटबंदी की घोषणा की थी। इसी के साथ सरकार और आरबीआई ने 500 रुपए और 2000 रुपए के नए नोट जारी किए थे।
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